iska sanskrit me ek vakya bana do bhai .
" परितः" ka plz bhai iska arth hai चारो ओर
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परित: क्षेत्राणि सन्ति
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परित: क्षेत्राणि सन्ति
Explanation:
'चारों ओर' के संयोजन में विभक्ति है-
उपनवध्यांगवासः के तर्क 'अभित: समयानिकक्षाप्रतियोगेपि' के अनुसार इनफिनिटिव्स 'अभितः', 'परितः', 'समय', 'निक्षा' और 'ह' के संयोजन में आने वाले शब्दों का दूसरा विभक्ति है।
परित: की परिभाषा
सब ओर । चारो ओर ।
- इन शब्दों के साथ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है- अभिता, परिथ, उभयः। यथा - ग्रामपरितः क्षेत्राणि सन्ति (ग्रामस्य परितः क्षेत्राणि सन्ति)। विद्यालम् अभिथ वृक्षः संति (विद्यालय के दोनों ओर वृक्ष हैं) माँ उभयः बालकौ स्था (उभय ओर मेरे दो बच्चे हैं)। हा, धिक्, प्रति-इन् अव्यवैः सह द्वितीया विभक्तिः आगच्छति।
- परितः अर्थात् चारों ओर। "अभितःपरितःसमयानिकषाहाप्रतियोगेषु च दृश्यते" इस उक्ति के अनुसार परितः, अभितः, समया, निकषा इन अव्ययों के योग में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। उदाहरण → ग्रामं परितः नदी वहति। (गाँव के चारों ओर नदी बहती है।)
- ग्रामं परितः क्षेत्राणि सन्ति
- गाँव के चारों ओर खेत हैं
- पुष्पं परित: भ्रमरा: गुञ्जन्ति।
- मधुमक्खियां फूल के चारों ओर भिनभिनाती हैं।
कारक-विभक्ति
- कारक-विभक्ति-कारक द्वारा प्रयुक्त विभक्ति कारकविभक्ति होती है। जैसे-‘बालकः विद्यालयं गच्छति।’ यहाँ ‘बालकः’ इस पद में कर्तृकारक होने से प्रथमा विभक्ति है। विद्यालयम्’ यहाँ कर्मकारक होने से द्वितीया विभक्ति है।
उपपद-विभक्ति
- उपपद-विभक्ति-पद को आश्रित करके जो विभक्ति प्रयुक्त होती है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। जैसे-‘गुरवे नमः। यहाँ ‘नम:’ इस पद के प्रयोग के कारण ‘गुरवे’ में चतुर्थी विभक्ति है।
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