isper koi poem likhkar dikhayen please
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सुबह होते ही खुली आँखे ।
फूलों की आई खुशबु मधुर। ☁☁
☁☁ ☁☁
कोयल ने अपनी मधुर आवाज़ (पहूप) से मन चुराया।।
बाग में खिले सुरभित पुष्प।। मोर नृत्य बना सबकी खुशी का रहस्य बना
।
पुष्प मधुरता देखकर पाखी हुआ हैरान।।
भूमि अपनी सुंदरता पर करे गर्व। ।
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