IV.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए |
हम लोग अब ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पृथ्वी का गर्भ रह-रहकर हिल रहा था । एक बड़े ज़ोर का
धड़ाका हुआ। हम बड़ी तेज़ी से बाहर फेंक दिए गए । हम ऊँचे आकाश में उड़ चले । इस दुर्घटना
से हम चौंक पड़े थे। पीछे देखने से ज्ञात हुआ कि पृथ्वी फट गई है और उसमें धुआँ, रेत, पिघली
धातुएँ तथा लपटें निकल रही हैं । यह दृश्य बड़ा ही शानदार था और इसे देखने की हमें बार-बार
इच्छा होने लगी।
प्रश्न:
(1) पृथ्वी का गर्भ क्यों हिल रहा था?
(2) पृथ्वी के नीचे से क्या-क्या तत्व निकल रही है?
(3) हम लोग' शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(4) बूंद को वहाँ का दृश्य कैसा लगा?
(5) उपर्युक्त गद्यांश के लेखक का नाम क्या है?
.... Please Answer Fast
Answers
Answered by
1
Answer:
१. पृथ्वी फट गई हैं इसलिए पृथ्वी का गर्भ हिल रहा है
२. धुआ. रेत. पिघली
४. बड़ा ही सानदर
Similar questions