जो बीत गई सो बात गई जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया अंबर के आंगन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फ़िर कहां मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई जीवन में था एक कुसुम थे उस पर नित्य निछावर तुम वह सूख गया तो सूख गया मधुबन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियां मुरझाए कितनी गुलरिया जो मुस्कुराए जो मुझे जो मुरझाए फिर कहां किल्ली पर बोलो सूखे फूलों पर कब मधुबन शोर मचाता है जो बीत गई सो बात गई konsa rash h
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करूण रस है इस काव्यांश में
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