Chemistry, asked by bruno1855, 10 months ago

जंग लगना निम्न में से किसका मिश्रण होता है ?
(a) FeO एवं Fe(OH)3
(b) FeO एवं Fe(OH)2
(c) Fe2O3 एवं Fe (OH)3
(d) Fe3O4 एवं Fe (OH)3

Answers

Answered by samarsparsh18
1

Answer:

जानें लोहे में जंग कैसे लगता है?

जब लोहे से बने सामान नमी वाली हवा में ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) की जम जाती है. यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है, जिसे धातु का संक्षारण कहते या लोहे में जंग लगना कहते है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं की लोहे में जंग कैसे लगता है और उसको जंग लगने से कैसे बचाया जा सकता है.

SHIKHA GOYAL

JAN 19, 2018 15:14 IST

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Overview of rusting process in iron

Overview of rusting process in iron

हम सबने देखा है कि जब किसी धातु से बने उपकरणों को हम काफी समय के लिए हवा में छोड़ देते है तो उनमें जंग लग जाता है. हवा में ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साईड, सल्फर, अम्ल आदि होते हैं, जिनके साथ प्रतिक्रिया करने पर धातु के उपर अवांक्षित यौगिक की परत जम जाती है. इस परत के कारण धातु धीरे-धीरे क्षय होने लगती है, धातु की चमक खराब हो जाती है आदि. इस प्रक्रिया को धातु का संक्षारण (corrosion) कहते हैं.

जैसे जब लोहे से बने सामान नमी वाले हवा में वर्तमान ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) जम जाती है, इस प्रक्रिया को लोहे में जंग लगना कहते हैं. इसी प्रकार जब चाँदी से बना सामान, सिक्के, जेवर आदि हवा में सल्फाईड के संपर्क लम्बे समय तक रहते है, तो उसके उपर एक काले रंग की परत सिल्वर सल्फाइड (silver sulphide)की जम जाती है, इस प्रक्रिया को चाँदी का संक्षारण या चाँदी पर दाग लगना कहते हैं और जब ताम्बे से बने सामान, सिक्के, बर्तन आदि लम्बे समय तक हवा के संपर्क में रहते है तो हवा में कार्बन डाईऑक्साइड से प्रतिक्रिया के कारण ताम्बे के उपर कॉपर कार्बोनेट (copper carbonate) की परत जम जाती है, जिसके कारण ताम्बे का वास्तविक रंग तथा चमक खराब (मलिन) हो जाती है, इस प्रक्रिया को ताम्बे का संक्षारण या corrosion कहते हैं.

आइये देखते है कि लोहे में जंग कैसे लगता है

जब लोहे से बने सामान नमी वाली हवा में ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) जम जाती है. यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है. आयरन ऑक्साइड छिद्रदार (Porous) होता है. यह परत कुछ समय पश्चात धातु में नीचे की और चली जाती है तथा लोहे की दूसरी परत फिर हवा में मौजूद ऑक्सीजन तथा पानी से प्रतिक्रिया कर आयरन ऑक्साईड में बदल जाती है. यह प्रक्रिया चलती रहती है तथा धीरे-धीरे लोहे का पूरा सामान आयरन ऑक्साईड में बदल जाता है, अर्थात खराब हो जाता है. इस तरह आयरन ऑक्साईड का बनना लोहे में जंग लगना कहलाता है, तथा आयरन ऑक्साइड को जंग कहते हैं.

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है: जब लोहा ऑक्सीजन तथा पानी के साथ प्रतिक्रिया करता है तो आयरन हाईड्रोक्साईड (iron hydroxide) बन जाता है. यह आयरन हाईड्रोक्साईड सूखने के बाद फेरिक ऑक्साईड (ferric oxide) में बदल जाती है, जिसे जंग कहते है.

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जब लोहा पानी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो जंग लग जाता है. इसका मतलब जंग लगने के लिए लोहे का पानी और ऑक्सीजन की संपर्क में आना अनिवार्य है. अर्थात हवा या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में लोहे में जंग नहीं लगता है. यदि हवा में नमी नहीं हो तो लोहे में जंग नहीं लगेगा या लोहे को ऑक्सीजन या पानी किसी एक से संपर्क में आने से रोक दिया जाय तो लोहे में जंग लगने से रोका जा सकता है.

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लोहे में जंग लगने से कैसे रोका जा सकता है

चूँकि ऑक्सीजन तथा पानी दोनों के संपर्क में ही आने से लोहे में जंग लगता है अत: लोहे से बने सामानों किसी एक अर्थात पानी या ऑक्सीजन या दोनों के संपर्क में आने से रोक देने पर लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है.

लोहे में जंग लगने से सुरक्षा या बचाव के कई तरीके हैं, जो निम्नांकित हैं:

- पेंटिंग: लोहे से बने सामानों पर पेंट की एक या दो परत चढ़ा देने से उसे जंग लगने से बचाया जा सकता है. इससे लोहा हवा में मौजूद ऑक्सीजन या नमी के संपर्क में नहीं आएगा और जंग नहीं लग पाएगा. यही कारण है कि लोहे से बने ग्रिल, कुर्सियां, दरवाज़े, आदि को नियमित रूप से पेंट किया जाता है ताकि उन्हें हवा में नमी के संपर्क में आने से रोका जा सके.

- लोहे के सामानों पर ग्रीस या तेल की परत का चढ़ाना: लोहे के सामानों पर ग्रीस या तेल की परत चढ़ा देने से वे हवा में उपस्थित नमी के संपर्क में नहीं आएगा तथा जंग नहीं लग पाएगा. इसलिए सायकल आदि की चेन पर ग्रीस की परत नियमित रूप से चढ़ाई जाती है ताकि उन्हें जंग लगने से बचाया जा सके.

- यशदलेपन (Galvanisation): लोहे आदि से बने सामानों पर जिंक धातु की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को यशदलेपन (Galvanisation) कहते हैं. जिंक परत लोहे से बने सामान को हवा में उपस्थित पानी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आने से रोकती हैं, जिससे जंग नहीं लग पता है. हालाँकि जिंक आयरन से ज्यादा अभिक्रियाशील होता है, लेकिन जिंक हवा में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर जिंक ऑक्साईड (zinc oxide)बनाता है, जिसकी एक पतली परत जिंक पर चढ़ जाती है, जो जिंक के निचली परत को आगे ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करने से रोकती है. इसलिए पानी की लाईनों में उपयोग किये जाने वाले लोहे के पाईप को galvanize किया जाता है, जिससे उनमें जंग ना लग सके.

आशा करता हूॅ की आपको यह उचित लगे।

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