'जाग तुझको दूर जाना’ कविता का मूल भाव क्या है?
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➲ ‘जाग तुझको दूर है जाना’ कविता महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक कविता है। इस कविता का मूल भाव स्वाधीनता आंदोलन में भाग ले रहे क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा प्रदान करना है।
महादेवी वर्मा की ये कविता एक जागरण गीत की तरह है, जिसके माध्यम से कवयित्री स्वाधीनता आंदोलन के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं।
कवयित्री का कहने का भाव यह है कि जब देश पराधीनता की पीड़ा झेल रहा है तो ऐसे में अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और सुखों को त्याग कर कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी निरंतर आगे बढ़ना है और अपने लक्ष्य अर्थात देश को पराधीनता की जंजीरों से मुक्त करा कर स्वाधीनता हासिल करना है। मनुष्य को प्रेरणा प्रदान करना ही इस कविता का मूल भाव है।
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