जंगल नाबूदी के कारण रेगिस्तान का निर्माण होता है कारण बताओ
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स्थायी उच्च दाब क्षेत्र के प्रभाव से रेगिस्तान विकसित होते हैंपृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण वायु प्रचंड बल उत्पन्न करती है। भूमध्य रेखा की सीध में पृथ्वी की गति 1676 कि.मी. प्रति घंटा होती है। जबकि ध्रुवीय क्षेत्र में यह गति लगभग नगण्य ही रहती है। भूमध्य रेखा पर गर्म वायु ठंडी होने से पहले उत्तर तथा दक्षिण की ओर फैलती है। हवा ठंडी होने पर, घनीकरण के पश्चात् अपनी नमी उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों को प्रदान कर देती है। इस प्रकार भूमध्य रेखा पर कम वायु दबाव का क्षेत्र बन जाता है। दोंनों उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों यानी कर्क रेखा और मकर रेखा के क्षेत्रों में उच्च दबाव का क्षेत्र निर्मित होता है। ध्रुवों के निकट कम दबाव के दो ठंडे क्षेत्र स्थापित होते हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों में उच्च दाब की हवाएं नीचे को उतरती हैं। जैसे ही उच्च दाब के दोनों उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की धरती पर सघन वायु उतरती है, पूर्वी हवाएं निर्मित होती हैं जो सूखी तथा नमी रहित होती हैं। यह सूखी हवाएं उस क्षेत्र की धरती से नमी सोख कर धरती को अधिक शुष्क बना देती हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध की पट्टी में कक रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र में अनेक रेगिस्तान जैसे चीन का गोबी रेगिस्तान, उत्तरी अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित रेगिस्तान तथा मध्य पूर्व के अरब तथा ईरानी रेगिस्तान स्थित हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा के निकटवर्ती क्षेत्रों में भी अनेक रेगिस्तान जैसे अर्जेंटाइना का पेटागोनिया रेगिस्तान, दक्षिणी अफ्रीका का कालाहारी रेगिस्तान तथा आस्ट्रेलिया में स्थित ‘विक्टोरिया’ व ‘ग्रेट सेंडी’ रेगिस्तान स्थित हैं।
अधिकतर रेगिस्तान 30 डिग्री उत्तरी और 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के उच्च दाब क्षेत्रों में स्थित हैं। यह क्षेत्र हैडली सेल द्वारा निर्मित हैं जो सूर्य की शक्ति द्वारा वायु के संचरण पर आधारित तंत्रा है। इस क्रिया को इस प्रकार विभिन्न चरणों में समझा जा सकता है।
1. भूमध्य रेखा पर सूर्य (धूप) की सीधी पड़ती किरणों के कारण वायु बहुत अधिक गर्म हो जाती है। इसका अर्थ यह भी है कि कम से कम भू-भाग पर सर्वाधिक विकिरण (रेडिएशन) गिरता है, इसके कारण ताप बढ़ जाता है। जिससे उच्च ताप उत्पन्न होता है।
2. यह गर्म वायु भूमध्यरेखा पर फैलकर, कम दबाव के क्षेत्र का निर्माण करती है।
3. यह कम दबाव का क्षेत्र, नमीयुक्त वायुराशियों (या वायुसंहतियों) अथवा वर्षा मेघों को अपनी ओर खींचता है। यह भूमध्य क्षेत्रीय वायुराशियां जब ध्रुवों की ओर अग्रसर होती हैं तब जैसे ही यह ऊपर की ओर उठती हैं तो यह ठंडी होने लगती हैं, इनके लिए अधिक नमी को साथ रखना संभव नहीं हो पाता। जिससे ये वर्षा के रूप में भूमध्य रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र में बरस पड़ती हैं। यही कारण है कि भूमध्य रेखा के निकटवर्ती क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है।
4. जैसे ही यह वायु भूमध्य रेखा से दूर जाती हैं, ठंडी हो कर अन्य भू-भागों में सतह के निकट बहने लगती है।
5. उच्च वायुदाब और बढ़ती शुष्कता के परिणामस्वरूप वायुराशियां सतह के निकट आती हैं।
6. 30 डिग्री उत्तरी और 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों में वायु सतह की नमी को सोख लेती है क्योंकि इन क्षेत्रों का उच्च तापमान नमी सोखने में सहायक होता