जागरण गीत का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए
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इस कविता का मूल भाव है कि जीवन संघर्षों और कठिनाइयों का मार्ग है जिसे कवि अग्निपथ मानता है इस मार्ग पर मनुष्य को विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए किसी के सहारे की था नहीं करनी चाहिए इस मार्ग पर कदम कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है मनुष्य को चाहिए कि वह इन कष्ट और चुनौतियों से ना घबराए अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ना चाहिए जिनकी क्रिया मैं गतिशीलता होनी चाहिए जिसमें रचने थकने और पीछे मुड़ कर देखने का कोई स्थान ना हो इस मार्ग पर चलते हुए आंसू की छोड़कर और खून से लथपथ तब भी इसे निरंतर संघर्ष करना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति संघर्ष से पीछे नहीं होता वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है
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जागरण गीत कविता का यह मूल भाव है की हम आलसी न बनके मेहनती बने और सपनों की दुनियां में न जीएं और आगे बढ़के प्रगति का मार्ग अपनाएं I
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