जौहर की गति जौहर जाने का निहितार्थ है –
(क) भुक्तभोगी ही विरह-व्यथा जान पाता है।
(ख) साथी ही साथी का भेद जानता है।
(ग) प्रेम-प्रीति की गति अनोखी होती है।
(घ) जौहर करने से पीड़ा कम होती है।
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