जूझ कहानी में लेखक के मन में कविता के प्रति रुचि जगाने का कार्य किसने किया?
मराठी अध्यापक
हिन्दी अध्यापक
अंग्रेजी अध्यापक
Answers
जूझ आनंद यादव Jujh Anand Yadav
जूझ मराठी के प्रख्यात रचनाकार डॉ.आनंद यादव का बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित आत्मकथात्मक उपन्यास का एक अंश है .एक किशोर के देखे और भोगे हुए गँवई यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश की अत्यंत विश्वसनीय जीवन गाथा है .
लेखक के पिता ने उसे पाठशाला जाने से रोक रखा है . उसके पिता सारा दिन गाँव में घूमते रहते और रखमा बाई के कोठे पर भी जाया करते थे .स्वयं काम न करके लेखक को खेती के काम में लगा दिया था .लेखक पढना चाहता था .उसे लगता था कि खेती से कोई लाभ नहीं ,बल्कि पढने से उसे नौकरी मिल जायेगी या कुछ व्यापार
जूझ
कर सकेगा .दिवाली बीत जाने पर महिना भर ईख पेरने के लिए कोल्हू चलाना क्योंकि लेखक के पिता को गुड़ की अच्छी कीमत मिल जायेगी .एक दिन लेखक ने अपनी माँ से पाठशाला जाने की इच्छा प्रकट की .माँ भी चाहती थी कि वह पाठशाला जाए ,लेकिन पिता के गुस्से के कारण वह भी चुप थी .लेखक ने एक तरीका बताया कि यदि दत्ता राव साहब ,पिता जी को समझाएं तो बात बन सकती है .दत्ता राव साहब ,इलाके के प्रभावशाली व्यक्ति थे .उनके सामने लेखक जाकर और उसकी माँ ने बताई और राव साहब स्वयं समझदार व्यक्ति थे और शिक्षा प्रेमी थे .उन्होंने लेखक के पिता को डरा -धमका कर समझाया कि बेटे को पाठशाला भेजो ,यदि तुम पाठशाला भेजने में असमर्थ हो ,तो स्वयं आनंदा को पाठशाला भेजेंगे .इस प्रकार लेखक का पाठशाला में पुनः जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ .
लेखक दूसरे दिन पिता जी की कड़ी शर्तों के अनुसार विद्यालय गया .कक्षा में सभी लड़के उसके लिए नए थे .कक्षा के शरारती बच्चों ने उसका उपहास किया ,लड़कों ने उसकी धोती खोलने की कोशिश की .कक्षा में उसकी दोस्ती वसंत पाटिल नाम के होशियार बच्चे से हुई .वह गणित में तेज़ था ,लेखक भी उसकी तरह पढने की कोशिश करने लगा .मास्टर उसे अनन्दा कहकर बुलाने लगे .
मराठी भाषा के अध्यापक न.पा.सौंदलगेकर से लेखक बहुत प्रभावित हुआ . पढ़ाते समय अध्यापक स्वयं रम जाते थे .सुरीले कंठ ,छंद और रसिकता के कारण लेखक उनसे प्रभावित हुआ .लेखक भी घर जाकर ,मास्टर साहब की तरह कविताएँ रचने लगा .अब लेखक का अकेलापन समाप्त हुआ .अब वह खेत में पानी लगाते हुए जानवर को चराते हुए कविता रचने लगा .वह अपने आस - पास के लोगों ,अपने गाँव ,खेतों पर तुकबंदी करने लगा .वह अपनी लिखी हुई कविता मास्टर साहब को दिखाने लगता .मास्टर साहब ने ही उसे छंद ,अलंकार ,लय का ज्ञान कराया .
जूझ आनंद यादव प्रश्न उत्तर अभ्यास
प्र1. ‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
उ.१. प्रस्तुत पाठ का शीर्षक जूझ बहुत ही सार्थक व उचित है .पाठ के प्रारंभ में लेखक को पिता द्वारा उसे पाठशाला में पढने से रोका गया .किन्तु लेखक ने अपनी माँ के साथ मिलकर योजना बनाकर दत्ताराव साहब के अनुग्रह से उसे पाठशाला जाने को मिला .कक्षा में उसे बच्चे उसे तंग किया करते थे , जिसके कारण वह परेशान रहा करता था ,लेकिन वसंत पाटिल जैसे होशियार बच्चों की सांगत व मराठी के अध्यापक की प्रेरणा से वह शिक्षित व्यक्ति बन पाया .
प्र2. स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ? श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रूचि जगाई।
उ.२. लेखक की पाठशाला में मराठी भाषा के अध्यापक श्री सौंदलगेकर स्वयं कवि थे .वे जब पढ़ाते थे तो वे कविता को मधुर स्वर में गान करते थे .साथ ही छात्रों को भाव ,छंद ,लय ,गति आदि का भी ज्ञान कराते थे .लेखक उनसे बहुत प्रभावित हुआ ,उन्होंने लेखक को कविता रचना की प्रेरणा दी .इसके पहले वह कवि को किसी दूसरे लोक का प्राणी मानता था ,लेकिन सौंदलगेकर के कारण वह मानने लगा कि कवि भी उसी की तरह आदमी होते हैं .सौंदलगेकर ने उसे कविता संग्रह पढने को दी जिनसे प्रभावित होकर लेखक ने अपने गाँव ,अपने परिवेश पर कविता बनाने लगा .किसी प्रकार की भूल होने पर सौदंगकर उसमें सुधार करते .
प्र 4. कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
उ.४. लेखक पाठशाला जाने से पहले खेतों में पानी लगता ,जानवर चराता .यह सब कार्य करते हुए वह बहुत अकेलापन महसूस करता था .उसे किसी के साथ हँसी मज़ाक करने के लिए किसी की संगत चाहिए थी ,लेकिन मराठी शिक्षक श्री सौंदलगेकर के संपर्क में आने के बाद वह स्वयं कविता रचने लगा .वह भैस चराते हुए कविता को मिट्टी के ढेले से भैस की पीठ पर ही लिख दिया करता था .अब वह उसी आवाज में अभिनय के साथ कविता गायन करने लगा .अब वह अकेलेपन का लाभ उठाने लगा .
प्र5. आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दें।
उ.५. मेरे विचार से पढ़ाई के सम्बन्ध में दत्ताराव साहब और लेखक का विचार सही था .लेखक का मानना था कि खेती करके जीवन में सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है .पढ़ाई करके नौकरी या व्यापार किया जा सकता है .
वहीँ लेखक के पिता निजी स्वार्थों के कारण लेखक को पाठशाला नहीं नहीं भेजना चाहते हैं ताकि वह दिनभर गाँव में घूम सके .अतः वह केवल अपने निजी स्वार्थ के कारण अपने बच्चे के भविष्य को बर्बाद करना चाहते थे .
प्र6. दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।
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पहला विकल्प मराठी अध्यापक सही है ।
- जूझ कहानी में लेखक के मन में कविता के प्रति रुचि जगाने का कार्य उनके मराठी अध्यापक ने किया था ।
- इस पाठ के लेखक आनन्द यादव है ।
- लेखक की पाठशाला में मराठी के एक अध्यापक थे जिनका नाम सौंदलोकर था। वे काव्य के अच्छे प्रेमी और पारखी थे। कविता पाठ करने की उनकी शैली ने लेखक को कविता रचना की ओर आकर्षित किया। वह कविता पढ़ता है। धीरे-धीरे उनके मन में कविता रचने की प्रतिभा भी विकसित हो गई। शुरू में उनके मन में एक डर था। उन्हें कवि किसी दूसरी दुनिया के लगते थे।
- सौदलगेकर मास्टर एक कवि थे। उन्होंने अन्य कवियों के बारे में भी बताया। इस विश्वास के जन्म लेने के बाद ही उनके मन में स्वयं कविता रचने का आत्मविश्वास पैदा हुआ।
अन्य विकल्पों की जानकारी
हिन्दी अध्यापक : वह एक हिंदी अध्यापक नही थे ।
अंग्रेजी अध्यापक : कहानी के अनुसार अंग्रेजी का कोई अध्यापक नही था ।
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