जाकी ज्योति बरे दिन राती - इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए
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telugu mein kya kehathey hai
जाकी ज्योति बरे दिन राती - इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है
भावार्थ : कवि कहता है कि ईश्वर रूपी ज्योति, ऐसी ज्योति है जो निरंतर जलती रहती है, आलोकित होती रहती है, यानी जलती रहती है। यह अक्षुण्ण ज्योति है, जो कभी बुझती नहीं। ईश्वर रूपी ज्योति निरंतर प्रज्वलित रहती है। अपने प्रकार से पूरे संसार को निरंतर आलोकित करती रहती है
व्याख्या : यहाँ पर कवि ने ईश्वर को एक परम सत्ता मानकर माना है और यह कहा है कि ईश्वर ज्योति पुंज के रूप में पूरे संसार को आलोकित करता है। वह अनादि काल से ज्योति के रूप में जलता आ रहा है और अनंत काल तक चलता रहेगा।
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