जिला उद्योग केन्द्र की भूमिका एवं महत्व को समझते
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jila udyog kendr ki bhoomika aon mahatt
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जिला उद्योग केंद्र की आवश्यकता तथा महत्व:
1. जिले का उद्योगिक विकास
जिला उद्योग केन्द्र जिले मे नये-नये उद्योगों की स्थापना करके रोजगार का निर्माण करने, स्थानीय साधनों का उपयोग करने एवं आय उत्पन्न करने मे सहायक होते है। इससे जिले की सम्पन्नता बढ़ती है।
2. जिले का सन्तुलित विकास
प्रत्येक जिला का आर्थिक सर्वेक्षण करके औधोगिक विकास की सम्भावनाओं का मूल्यांकन करने मे जिला उद्योग केन्द्र अत्यंत सहायक होते है। वे जिले की आवश्यकताओं के अनुरूप ही विकास की योजना बनाते है।
3. आधारभूत ढाँचे का निर्माण
जिला उद्योग केन्द्र जिले मे औधोगिक बस्तियों का निर्माण करते है तथा वहाँ सड़कों, यातायात, संचार, व्यवस्था, विधुत, पानी, बैंक आदि की व्यवस्था के लिए प्रयास करते है।
जिला उद्योग केंद्र के उद्देश्य:
1. लघु तथा कुटीर उद्योगों का विकास करना।
2. लघु, ग्रामीण घरेलू उधोगों को विनियोजन के पूर्व, विनियोजन के समय और विनियोग के बाद आवश्यक सेवायें एक ही छत के नीचे प्रदान करना।
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3. जिला स्तर पर सरकार की औधोगिक नीतियों को लागू करना।
4. नये साहसियों (उधमियों) का पता लगाना।
6. जिले की औधोगिक सम्भावनाओं तथा स्थानीय साधनों के आधार पर जिले हेतु विकास कार्यक्रम तैयार करना।
7. लघु तथा कुटीर उद्योगों को आवश्यक वित्त, भूमि, भवन, कच्चा माल, यन्त्र, सामग्री और माल के विपणन की सुविधाएँ प्रदान करना।
8. लघु साहसियों हेतु औधोगिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
9. गाँवों मे हस्तशिल्पकला उधोग को विकसित करना।