जेम्म प्रिमिप कौन थे भारतीय इतिहास लेखन में
kya dain hai
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जेम्स प्रिंसेप ने किया था सम्राट अशोक के अभिलेखों को प्रतिपादित ... वाराणसी : प्राचीन भारतीय लिपि ब्राह्माी एवं खरोष्ठी के सर्वप्रथम वाचन का श्रेय जेम्स प्रिंसेप को प्राप्त है, जिन्होंने सर एलेक्जैंडर कनिंघम के सहयोग से मौर्य सम्राट अशोक के अभिलेखों को पढ़कर इस कार्य को प्रतिपादित किया।
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वाराणसी -जेम्स प्रिन्सेप!यह एक नाम भर नहीं है ,जो इतिहास बन गया ,हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में अब वो प्रिन्सेपिया के नाम से लहलहा रही पत्तियों और उसके चेरी की तरह सुर्ख लाल फलों में मौजूद है। इतिहासकार कहते हैं अगर मानव इतिहास के 10 विलक्षण व्यक्तियों की सूची बनाई जाये तो उसमे आइन्स्टीन और गांधी के साथ एक नाम जेम्स प्रिन्सेप का होगा।यह वही जेम्स प्रिन्सेप था जिसने आधुनिक बनारस को बसाया ।ताजा खबर यह है कि जेम्स प्रिन्सेप के वंशज इवान प्रिन्सेप ने उनसे जुड़े दस्तावेजों को दिल्ली स्थित नेशनल म्यूजियम को सौंप दिया है। जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इण्डिया कम्पनी में एक अधिकारी के पद पर नियुक्त थे। सन 1799 में जन्मे प्रिन्सेप की महज 41 वर्ष की उम्र में 1840 में मृत्यु हो गई।उनकी मृत्यु के बाद हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में मिलने वाली एक वनस्पति को जेम्स की स्मृति में प्रिन्सेपिया का नाम दे दिया गया ।