जुम्मन शेख की खाला क्यों पंचायत करने पर मजबूूर हो गई थी?
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➡️Answer:- जुम्मन जुम्मन शेख की बूढ़ी खाला के पास कुछ थोड़ी सी मिल्कियत थी, उसका कोई निकट संबंधी जीवित ना था।इसलिए जुम्मन ने लंबे चौड़े वादे करके वह मिल्कियत अपने नाम लिखवा ली थी। जब तक दान पात्र की रजिस्ट्री ना हुई थी, खाला जान का खूब आदर- सत्कार किया गया, पर रजिस्ट्री की मुहर ने इन खातिरदारी ऊपर भी मानो मुहर लगा दी। जुम्मन शेख की पत्नी करीमन रोटियों के साथ कड़वी बातों के कुछ तेज तीखे सालन भी देने लगी। जुम्मन शेख भी निठूर हो गए।
खाला जान को प्राय: नित्य कड़वी बातें सुननी पड़ती थी। बुढ़िया ना जाने कब तक जिएगी। 2-3 बीघे उसने क्या दे दिए मानो मोल ले लिया है इन बातों को सुन सुन कर खाला जान बिगड़ गई और पंचायत करने पर मजबूर हो गई।
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जुम्मन जुम्मन शेख की बूढ़ी खाला के पास कुछ थोड़ी सी मिल्कियत थी, उसका कोई निकट संबंधी जीवित ना था।इसलिए जुम्मन ने लंबे चौड़े वादे करके वह मिल्कियत अपने नाम लिखवा ली थी। जब तक दान पात्र की रजिस्ट्री ना हुई थी, खाला जान का खूब आदर- सत्कार किया गया, पर रजिस्ट्री की मुहर ने इन खातिरदारी ऊपर भी मानो मुहर लगा दी। जुम्मन शेख की पत्नी करीमन रोटियों के साथ कड़वी बातों के कुछ तेज तीखे सालन भी देने लगी। जुम्मन शेख भी निठूर हो गए।
खाला जान को प्राय: नित्य कड़वी बातें सुननी पड़ती थी। बुढ़िया ना जाने कब तक जिएगी। 2-3 बीघे उसने क्या दे दिए मानो मोल ले लिया है इन बातों को सुन सुन कर खाला जान बिगड़ गई और पंचायत करने पर मजबूर हो गई।