जैन गंगा में ज्वार से क्या अभिप्राय है
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1 पहरेदार से
2 उपमा अलंकार
3 कवि द्वारा कविता में शत्रु की छाया का अर्थ डर से था
4 जन गंगा में ज्वार से अभिप्राय गतिशील रहने से है जिस तरह समुद्र में लहर हमेशा चलती रहती है वैसे ही मनुष्य को इस संसार में गतिशील रहना है।
5 अचल -- चल
अमर -- मृत्यु (मृत)
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