Hindi, asked by harshitdhir2506, 3 months ago

जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार। पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।। Kaviyatri ka manav jiwan kaisa ha is kavyansh main se uttar dijiye

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Answered by aditya95250
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Answer:

इस कविता में रोजमर्रा की साधारण चीजों को उपमा के तौर पर उपयोग करके गूढ़ भक्ति का वर्णन किया गया है। नाव का मतलब है जीवन की नैया। इस नाव को हम कच्चे धागे की रस्सी से खींच रहे होते है। कच्चे धागे की रस्सी बहुत कमजोर होती है और हल्के दबाव से ही टूट जाती है। हालाँकि हर कोई अपनी पूरी सामर्थ्य से अपनी जीवन नैया को खींचता है। लेकिन इसमें भक्ति भावना के कारण कवयित्री ने अपनी रस्सी को कच्चे धागे का बताया है। भक्त के सारे प्रयास वैसे ही बेकार हो रहे हैं जैसे कोई मिट्टी के कच्चे सकोरे में पानी भरने की कोशिश करता हो और वह इधर उधर बह जाता है।

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