जो नहीं हो सके पूर्ण काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम।
कुछ कुंठित औ कुछ लक्ष्य भष्ठ जिनके अभिमंत्रित तीर
हए; रण की समाप्ति से पहले जो वीर रिक्त तूणीर हुए उनको प्रणाम।
जो छोटी सी नैया लेकर उतरे करने को उदाधि - पार;
मन की मन में हो रही, स्वयं हो गए उसी में निराकार उनको प्रणाम।
जो उच्च शिखर की और बढ़े रह रह नव-नव उत्साह भरे।
पर कुछ ने ले ली हिम समाधि; कुछ असफल हो नीचे उतरे उनको प्रणाम।
कृतकृत्य नहीं जो हो पाए, प्रत्युत फॉसी पर गए झल
कुछ ही दिन बीते है, फिर भी यह दुनिया जिनको गई भल । उनको प्रणाम।
() कवि किनको प्रणाम करता है व क्यों? 2)
(D) छोटी सी नैया से कवि का आशय है और उनका क्या हथ हआ? (2)
( कतकृत्य कौन नहीं हो पाए? दुनिया ने उनके साथ क्या व्यवहार किया? (2)
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