जानवरो के प्रती हमददीअपने विचार
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जानवरों के प्रति हमदर्दी
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हालांकि मनुष्य स्वयं को बहुत अकल मंद मानता है परंतु वर्तमान में वह यह कतई दावे के साथ नहीं कह सकता कि वह हमदर्द भी है क्योंकि जिस प्रकार मनुष्य अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संपूर्ण धरती का विनाश करने के लिए तत्पर है उससे यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि वह धरती एवं उसके जीवो के प्रति संरक्षित एवं हमदर्दी वाले विचारों के साथ जी रहे हैं।
दिन पर दिन बढ़ते हुए जानवरों के कत्ल शुभ संकेत नहीं देते और वह यह साफ कर देते हैं कि मनुष्य अब कितना स्वार्थी एवं पत्थर दिल हो चुका है मनुष्य को अब जानवरों के प्रति हमदर्दी कतई नहीं रही हालांकि कहने को मनुष्य एवं जानवरों का आपस में गहरा संबंध माना जाता था पर यह सिर्फ पुराणों में लिख कर रह चुका है अब इसे मनुष्य अपनी जिंदगी में कभी भी लाने का प्रयास नहीं करते।
Explanation:
... मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए उन जानवरों का भी क़त्ल कर देते हैं जिन्होंने कुछ नहीं किया जो निर्दोष है वह स्वयं नहीं जानते कि वह इस कथन को करते हुए कितने बेदर्द हो जाते हैं। स्वार्थी होकर जानवरों का विनाश तो कर ही रहे हैं एवं वे ऐसा करके इस संपूर्ण धरती को अपने जीने योग्य से ayogya banaa rahe hain....
जानवर इस धरती के अभिन्न अंग है जो ना चाहते हुए भी हमें बहुत कुछ दे देते हैं एवं हमारा सीधा ही ना सही परंतु घूम फिर कर उन्हीं से नाता जुड़ता है वह हमारे सोलर सिस्टम एवं हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है जिसे नकारा नहीं जा सकता वे एक ऐसे जीव है जिन्हें हमें वरदान स्वरुप ईश्वर से पानe का धन्यवाद करना चाहिए। मनुष्य को यह समझना चाहिए कि जानवर उनके लिए कितने आवश्यक है आज वर्तमान समय में मनुष्य विकास के नाम पर धरती का सर्वनाश करने के लिए तत्पर है जिसमें वह जानवरों की प्रजाति को भी पूर्ण रूप से खत्म करने का प्रयास कर रहा है।
आज मनुष्य अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिए लेदर जो कि जानवर के चमड़े से बनता है। हिप्पोपोटामस का सिंह काट लेता है और उसे बिना किसी उपचार के और aसहाय छोड़ जाता है। मनुष्य को हमदर्दी दिखानी चाहिए और जानवरों को स्वयं से अधिक प्यार करना चाहिए मैं तो बस इतना कहना चाहूंगी मनुष्य बहुत गंदे होते हैं मैं भी बहुत बदनसीब हूं कि मेरे को मनुष्य का जीवन मिला मैं तो इंसान मनुष्य नहीं चाहती थी
जानवरो के प्रती हमदर्दी
आज संसार में पशुओं का उत्पीड़न जिस बुरी तरह से किया जा रहा है उसे देखकर किसी भी भावनाशील व्यक्ति का हृदय दया से भरकर कराह उठता है। पशुओं पर होने वाला अत्याचार मनुष्यता पर एक कलंक है। समस्त प्राणी-जगत में सर्वश्रेष्ठ एवं जेष्ठ कहे जाने वाले मनुष्य को पशुओं के साथ क्रूरता का व्यवहार करना कहाँ तक शोभा देता है ? हमें प्रत्येक जीव के प्रति प्रेम दया भाव रखना चाहिए। मानवता का यही धर्म है।
साधारण-सी बात है कि संसार में रहने वाले सारे प्राणियों को उस एक ही भगवान् ने पैदा किया है | हमें कोई हक नहीं बनता उनकी जान लेने का | वह हम इंसानों से ज़्यादा वफादार होते हैं और कुत्ते की वफादारी तो जग ज़ाहिर है | व हमें बहुत कुछ देते हैं जैसे :- दूध, ( दूध से बहुत सी चीजें बनती है जैसे घी , दहीं , मखन , पनीर , आदि ) ऊन, खेतों में हल जोतने का काम भी वह करते हैं | और इसके बदले में वह सिर्फ प्यार चाहते हैं और कुछ भी नहीं | हमें सिर्फ अपने पालतू जानवरों का ही नहीं बल्कि उन जानवरों का भी ख्याल रखना चाहिए | उनके प्रति दया की भावना रखनी चाहिए |