जानवरो पशु पक्षियो को पालतू बनाना उचित है ?in long
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janwar hmare nutrients ke bahut hi necessary h bt iska ye mtlb nhi ki hm janwaron ko paltu bna le.unhe bhi hm maneon jaisa independent rahne ki habit hoti h bt hm apne lobh ke karan unko paltu bna lete h. janwar hm manwon ki tarah apne dard ko bol n sakta h bt phir bhi hm manwon me to itni soch aut samajh honi chahiye. mere khyal se janwaron ko psltu nhi bnaana chahiye
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नई दिल्ली।। दिल्ली में कई जगहों पर खासकर पुरानी दिल्ली में आपको कई तरह की छोटी बर्ड्स और तोते बेचते हुए लोग मिल जाएंगे। लेकिन इन्हें खरीदने से पहले यह जांच लें कि ये पक्षी विदेशों से इंपोर्ट किए गए हैं या नहीं। भारत में पाए जाने वाले पक्षियों को पिंजरे में बंद करके आप कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं। विदेशों से इंपोर्ट किए गए पक्षी जिन्हें इग्जॉटिक बर्ड्स कहा जाता है, को पालने में कोई कानूनी लोचा नहीं है। लेकिन जानवरों के लिए काम करने वाले लोगों का मानना है कि पक्षी कहीं के भी हों उन्हें पिंजरे में बंद करना नैतिक रूप से गलत है।
हालांकि भारतीय पक्षियों को खरीदने बेचने पर प्रतिबंध है लेकिन इसके बावजूद भी कई जगहों पर गौरिया जैसी छोटी देसी चिडि़यों को पकड़कर उन्हें तरह-तरह के रंगो से रंग विदेशी पक्षी बताकर बेचा जा रहा है। हालांकि कई पेट शॉप पर असली विदेशी पक्षी भी बेचे जाते हैं। जिनके लिए बाकायदा उनके पास लाइसेंस भी होते हैं। यह पक्षी काफी महंगे भी होते हैं। मिसाल के तौर पर साउथ अमेरिका में पाए जाने वाले तोते की जाति के मकाऊ पक्षी को पालने के लिए आपको करीब 1.5 लाख रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं।
हालांकि जानवरों और पक्षियों के लिए काम करने वाले एनजीओ फ्रेंडिकोज की गीता का कहना है कि भले ही कानून हमें इस बात की इजाजत देता है कि हम कुछ विदेशी पक्षियों को पाल सकते हैं लेकिन नैतिक तौर पर हमें इन पक्षियों को भी पिंजरे में कैद नहीं करना चाहिए। खुले आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को पिंजरे में कैद करना नैतिक रूप से गलत है, अब चाहे वे पक्षी भारतीय हो या विदेश से लाए गए हों।
हालांकि भारतीय पक्षियों को खरीदने बेचने पर प्रतिबंध है लेकिन इसके बावजूद भी कई जगहों पर गौरिया जैसी छोटी देसी चिडि़यों को पकड़कर उन्हें तरह-तरह के रंगो से रंग विदेशी पक्षी बताकर बेचा जा रहा है। हालांकि कई पेट शॉप पर असली विदेशी पक्षी भी बेचे जाते हैं। जिनके लिए बाकायदा उनके पास लाइसेंस भी होते हैं। यह पक्षी काफी महंगे भी होते हैं। मिसाल के तौर पर साउथ अमेरिका में पाए जाने वाले तोते की जाति के मकाऊ पक्षी को पालने के लिए आपको करीब 1.5 लाख रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं।
हालांकि जानवरों और पक्षियों के लिए काम करने वाले एनजीओ फ्रेंडिकोज की गीता का कहना है कि भले ही कानून हमें इस बात की इजाजत देता है कि हम कुछ विदेशी पक्षियों को पाल सकते हैं लेकिन नैतिक तौर पर हमें इन पक्षियों को भी पिंजरे में कैद नहीं करना चाहिए। खुले आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को पिंजरे में कैद करना नैतिक रूप से गलत है, अब चाहे वे पक्षी भारतीय हो या विदेश से लाए गए हों।
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