ज्ञान चेतना में निहित है। इस कथन को समझाइए।
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Is kathan ka arth hai ke gyan hamare andar he hota hai. Hame apne upar vishwas rakh kar ise ugagar karna hota hai. Kabhi kabhi ham kisi kaam ke liye doosron par nirbhar hote hain. Lekin kahin na kahin kai baar aisa hota hai ke us ka gyan hamare andar hee hota hai.
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ज्ञान चेतना में निहित है। इस कथन का तात्पर्य कुछ इस प्रकार है—
- ज्ञान को प्राय: हम तथ्यों के बारे में जागरूकता या व्यावहारिक कौशल के रूप में परिभाषित करते हैं।
- ज्ञान हमें वस्तुओं या स्थितियों से परिचित होने का भी उल्लेख कराता है।
- वहीं दूसरी तरफ चेतना हमें स्वयं के बारे में और हमारे आस पास के लोगों, वस्तुओं तथा अन्य प्राणियों के बारे में समझने और मूल्यांकन का बोध कराता है ।
- चेतना अपने आप में एक समुद्र की तरह है जिसमे ज्ञान पूर्णत: निहित हो जाता है।
- जो भी ज्ञान हम प्राप्त करते हैं, चेतना हमें उस पर चिंतन और मनन करने की शक्ति देती है। चेतना के सहारे ही हम उस ज्ञान को तरसते हैं, उसकी कमियों और अच्छाइयों की पहचाना करते हैं।
- तो चेतना कुछ इस प्रकार ज्ञान को अपने अन्दर समाहित कर लेती है और मानव को मानव बनाने का कार्य करती है।
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