Hindi, asked by deveshg8778, 11 months ago

‘जार्ज पंचम की नाक’ के बहाने भारतीय शासनतंत्र पर किये गए व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए पत्रकारों की भूमिका पर भी टिप्पणी कीजिए|

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Answered by namanyadav00795
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‘जार्ज पंचम की नाक’

‘जार्ज पंचम की नाक’ को लेकर शासन में खलबली थी क्योंकि रानी एलीजाबेथ भारत आने वाली थी और जार्ज पंचम की मूर्ति से अचानक नायक गायब हो गई थी |

यह एक व्यंग्य है लेखक आगे कहते हैं की शासन के लोगों ने देशभक्तों की मूर्तियों से नाक उतार लेने का आदेश दिया लेकिन किसी की भी नाक जार्ज पंचम की मूर्ति पर फिट नहीं बैठी |

गौरतलब है की सरकारी महकमा उस व्यक्ति की मूर्ति के नाक की चिंता में था जिन्होंने वर्षों तक भारतीयों पर अत्याचार किया था | जार्ज पंचम ने भारत को कुछ नहीं दिया |

यह दर्शाता है की सरकारी तंत्र के लोग आजादी के बाद भी अंग्रेजों की गुलामी और चाटुकारिता करते हैं |

पत्रकारिता लोकतंत्र का प्रमुख स्तम्भ है | पत्रकारिता में जनता के अधिकारों और राष्ट्र के विकास के मुद्दे होने चाहिए |

जार्ज पंचम की नाक के विषय में अखबारों के केवल इतना लिखा की नाक का मसाला हल हो गया | ब्रिटिश सरकार को दिखाने के लिए किसी जिंदा व्यक्ति की नाक काटकर लगाना किसी को पसंद नहीं आया | इसके विरोध में सभी अखबार चुप रहे |

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