'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ की प्रासंगिकता पर 60 शब्दों में प्रकाश डालिए।
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नाक मान-सम्मान का प्रतीक होती है। ... इसी घृणा तथा ब्रिटिश शासन के प्रति लोगों के असम्मान को प्रकट करने के लिए जॉर्ज पंचम की नाक को काट दिया गया था। इससे यह शिक्षा मिलती है कि आजाद तो हम हो चुके हैं लेकिन अभी भी दिल्ली को संभालने वाले लोग अंग्रेजों के मानसिक रूप से गुलाम हैं। हमें इस गुलामी से स्वयं को स्वतंत्र करना होगा।
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