Hindi, asked by kuchbhihe07, 5 months ago

जैसे बैसाख कहां गया....... को लौटा हूँ|​

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Answered by shruti8888
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वैशाख चाहे एक आद बार गुलेल कर लेता है पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा उसके चेहरे पर स्थाई विषाद स्थाई रूप से छाया रहता है सुख-दुख हानि लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा ऋषि मुनियों के जितने गुण हैं उतने ही गुण हैं उसमें सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं पर आदमी उसे बेवकूफ कहता है सद्गुणों का इतना अनादर!बैल को जितना चाहो कभी क्रोध करते नहीं सुना गरीब को चाहे जितना मारो चाहे जैसी ख़राब सारी बीघा सामने डाल दो उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया नहीं दिखाई देती!

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