जैसे जैसे शहर फैल रहे है और गाँव सिकुड़ रहे है| लोकगीतों पर उनका क्या असर पड़ रहा है| इस पर अनुच्दछेद लिखे
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आज शहरों का विकास तेजी से हो रहा है और गांव सिकुड़ते जा रहे हैं। इसका सीधा असर गांव की सभ्यता और संस्कृति पर पड़ रहा है। शहरों के फैलने से गांव की रीत और परंपराएं लुप्त होती जा रही हैं। इसका असर गांव के लोकगीतों पर भी पड़ा है।
गांव के लोकगीत लुप्त होने की कगार पर हैं। पहले गांव में शादी विवाह या खुशी का कोई भी मौका हो तो लोक गीतों का गायन होता था लेकिन शहरीकरण के बढ़ते लोकगीत लुप्त होते जा रहे हैं।
जैसे जैसे शहरों का विस्तार हो रहा है वैसे वैसे गांव में रहने वाले लोगों की संख्या घटती जा रही है। अब गांव की भी बड़ी आबादी शहरों की तरफ पलायन कर चुके हैं।
जो गांव शहर से करीब होते हैं वे शहरों कि जीवन शैली ही अपनाते हैं। इस हमारे सांस्कृतिक पहलुओं पर असर पड़ा है।
गांव के लोग लोकगीतों के बारे में जानते थे। वे उन्हें गाते थे तथा अपनी संस्कृति को इन लोकगीतों के माध्यम से दर्शाते थे।
लेकिन शहरों में लोकगीत ना लोग जानते हैं और ना गाते हैं। पहले की तुलना में लोक गीतों का प्रचलन काफी घटा है। इसका एक कारण शहरों का विस्तारीकरण भी है।