जैसी करनी वैसी भरनी हिंदी निबंध
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प्रस्तावना : प्राकृतिक नियम के अनुसार प्रत्येक कार्य के पीछे समान प्रतिक्रिया होती है। यदि हम गुलाब और आम के पौधे लगाएं तो हमें गुलाब और आम ही मिलेगा। लेकिन यदि हम कैक्टस का पौधा लगाएं तो हमें कांटेदार कैक्टस ही मिलेगा। यही बात जीवन के कार्यो पर भी लागू होती है। यदि एक विद्यार्थी आरंभ से ही कठिन अध्ययन करता है, वह अपनी युवावस्था में एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर लेता है। परन्तु जो कठिन अध्ययन नहीं करते, वह अपने लिए नौकरियां सुरक्षित नहीं कर पाते। इस प्रकार उन्हें अपने जीवन मं सफलता प्राप्त नहीं होती हैं।
गलत धारणा : हमारे समाज में एक सामान्य धारणा है कि बिना भ्रष्ट व्यवहारों के हम उन्नति नहीं कर सकते हैं। माता-पिता, अध्यापक, व्यवसायी, सरकारी अफसर और राजनीतिज्ञ सभी जीवन में अनैतिक ढंग से व्यवहार करते हैं। वे युवाओं के समक्ष गलत आचरण का उदाहरण रखते हैं और अपने बच्चों से नैतिकता की आशा रखते हैं। वह भूल जाते हैं कि उन्होंने समाज में अनैतिकता का बीज बोया है। इसलिए उन्होंने जैसा बीज बोया है उन्हें वैसा ही तो फल मिलेगा।
हमारे कार्यों का प्रभाव : हमारे कार्यों से राष्ट्रीय जीवन भी प्रभावित होता है। 1946-47 में हमने सांप्रदायिकता के आधार पर देश का विभाजन किया था। सांप्रदायिक असंगति का बीज बोया गया था। लाखों लोग विभाजन की रेखा पर मारे गए। लाखों लोग अपना जन्म स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाने को विवश हुए। हमारे देश में सांप्रदायिक संगति समाप्त हो चुकी है। दंगे निरंतर जारी रहे। कोई भी अल्पसंख्यक आयोग या सरकार उसको नहीं रोक सकी हमने जो बोया था उसका फल हमें मिल चुका था।
निष्कर्ष : अतः निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम कैसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं। क्योंकि भविष्य हमारे आज के कर्मों का ही आइना होता है। एक ओर महावीर और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुष हैं जिन्होंने कभी शांति और मानवता का बीज बोया था। तो वहीं दूसरी ओर जर्मनी के तानाशाह हिटलर का उदाहरण भी हमारे समक्ष है जिसने हिंसा और घृणा का बीज बोया और सम्पूर्ण विश्व को युद्ध की आग में झोंक दिया। किसी ने सही ही कहा है कि जैसी करनी वैसी भरनी।
जैसी करनी वैसी भरनी।
Explanation:
प्रकृति में हमें कुछ ऐसी चीजें देखने को मिलती है जिन्हें हम अपनी सामान्य जिंदगी के साथ जोड़ कर देख सकते हैं। जैसे एक बार एक राजा ने अपने एक गुलाम को पीट पीट कर मार डाला। लेकिन प्रकृति के नियम कुछ ऐसे होते हैं कि जो जैसा करता है वह वैसा ही भरता है।
गुलाम की गलती केवल इतनी थी कि उसमें राजा के कहने पर भी उसके सामने सिर नहीं झुकाया। गुलाब की इतनी सी गलती पर राजा ने उस गुलाम को पीट-पीटकर मार डाला। कुछ साल बीत गए और एक बार राजा के महल पर कुछ आक्रमणकारियों ने हमला कर दिया। उन्होंने राजा से उसका सारा खजाना लूट लिया और जब राजा ने अपनी सोने की तलवार उन्हें इंकार कर दिया तो आक्रमणकारियों ने राजा का सर वही कलम कर दिया।
इसे ही तो कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी।
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