Hindi, asked by shubham1115, 6 months ago

जैसा खाये अन्न वैसा होगा मन निबंध 600 शब्द​

Answers

Answered by Anonymous
0

Answer:

.

Good morning all,

*Revision for 2021 Boards:*

-Ex.13.1 surface areas and volumes

- Electricity :

From 206 tillpage no.220 that is the end of this chapter.

Thankyou!

Answered by alltimeindian6
3

Answer:

यह सच है जैसा खाए अन्न, वैसा होय मन

पं. हेमन्त रिछारिया

सनातन धर्म में भोजन को ईश्वर का स्वरूप माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है 'अन्नं ब्रह्म' अर्थात् अन्न ब्रह्म है। प्राचीन लोकोक्ति है- 'जैसा खाए अन्न, वैसा होय मन'। हमारे भोजन का सीधा प्रभाव हमारे चरित्र व मन पर पड़ता है। वर्तमान समय में पहले ही कीटनाशकों के बहुतायत प्रयोग से खाद्य पदार्थ विशुद्ध नहीं बचे हैं, वहीं यदि उनके पकाने एवं ग्रहण करने में भी शुद्धता का ध्यान नहीं रखा जाता है तो यह हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

आज शास्त्रोक्त बातों को रुढ़ियां मानकर इनके उल्लंघन करने के परिणामस्वरूप समाज निरन्तर पतन की ओर अग्रसर होता जा रहा है। विडम्बना यह है कि आज की पीढ़ी भोजन बनाने व ग्रहण करने के नियमों तक से अनजान हैं ऐसी स्थिति में उनके द्वारा उन नियमों के पालन की आशा करना व्यर्थ है।

आइए आज हम आपको भोजन से संबंधित कुछ शास्त्रसम्मत नियमों की जानकारी प्रदान करते हैं-

Explanation:

hope its helps

Similar questions