जिस देश मे गंगा बहती है पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए
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जिस देश मे गंगा बहती है पाठ का सारांश :
‘जिस देश में गंगा बहती है’ पाठ एक कविता के रूप में है, जो ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के शीर्षक से है। इस कविता/गीत की रचना हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार कवि शैलेंद्र ने की है। ‘शैलेंद्र’ हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार कवि थे, इनका असली नाम शंकरीदास केसरीलाल था। इनका जन्म 1930 में हुआ था, उन्हें अनेक फिल्मों में गीतों के लिए कई तरह के पुरस्कार मिल चुके है।
पाठ का सारांश...
‘जिस देश में गंगा बहती है’ इस कविता/गीत के माध्यम से कवि ने भारतवासियों की विशेषता बताने का प्रयत्न किया है। ये गीत 1960 में राजकपूर-पद्मिनी द्वारा अभिनीत ‘जिस देश में गंगा बहती है’ इसी नाम से प्रदर्शित फिल्म का मुख्य गीत था।
कवि कहता है कि गंगा नदी हमारे भारत की सबसे बड़ी नदी है। यह पावन और निर्मल तथा स्वच्छ नदी है। इस नदी के कारण ही हमारी पूरे विश्व में पहचान है। इसकी पवित्रता से संसार के सारे लोग परिचित हैं। जिस तरह नंदी पवित्र एवं स्वच्छ है उसी तरह हम भारतवासियों का दिल भी इसी नदी की तरह पवित्र और स्वच्छ है। हम भारतवासी सदैव सच्चाई का साथ देते हैं। हमारे लिए अतिथि देवो भव है, अर्थात अतिथि भगवान के समान हैष हम भारतवासी बहुत अधिक लालच नहीं करते और जितना हमें मिलता है उसी में हम संतुष्ट हो जाते हैं। हम भारतवासी एक दूसरे का सहयोग करने से नहीं चूकते और सब से मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं। हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा जैसी पवित्र नदी बहती है।
इस तरह कवि ने पवित्र नदी गंगा के गुणों का भारतवासियों के गुणों से तुलना करके भारतवासियों के गुणों के बारे में सुंदरता से वर्णन किया है।
Explanation:
हम भारतवासी एक दूसरे का सहयोग करने से नहीं चूकते और सब से मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं। हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा जैसी पवित्र नदी बहती है। इस तरह कवि ने पवित्र नदी गंगा के गुणों का भारतवासियों के गुणों से तुलना करके भारतवासियों के गुणों के बारे में सुंदरता से वर्णन किया है।