जिसके रज कण का कर चन्दन, झुक झुक नभ करता पद वंदन कली कली के प्राण खोलता, स्वर्ण रश्मि का गान देश का हमको है अभिमान देश का अर्थ क्या हैं
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जिसके रजकण का कर चन्दन,
झुक-झुक नभ करता पद वन्दन ,
कली कली का प्राण खोलता
स्वर्ण-रश्मि का गान देश का
हमको है अभिमान देश का॥
भावार्थ :
इन पंक्तियों का भावार्थ है कि भारत देश जिसकी मिट्टी के हर एक कण में चंदन की सी सुगंध आती है। जिस भारत देश की महिमा के आगे ये आकाश भी झुक-झुककर नतमस्तक होता है, उसका गुणगान करता है। जिस देश की मिट्टी के कण-कण से उस देश की स्वर्णिम गौरवगाथा का गुणगान होता है, ऐसी गौरवमयी मातृभूमि भारतदेश पर हमें अभिमान है।
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