जिसमें सुख धन और प्राण बचाने के लिए अपना धर्म नहीं बदला और मौत को हंसकर स्वीकार करा वह कौन थे?
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¿ जिसने सुख, धन और प्राण बचाने के लिए अपना धर्म नहीं बदला और मौत को हंसकर स्वीकार करा वह कौन थे?
➲ गुरु तेगबहादुर
⏩ जिसने सुख, धन और प्राण को बचाने के लिए अपना धर्म नहीं बदला और मौत को हंसकर स्वीकार किया, वह गुरु तेग बहादुर थे।
गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे। उन्होंने औरंगजेब द्वारा जबरदस्ती इस्लाम धर्म स्वीकार करने से इंकार कर दिया थास जिससे नाराज होकर आततायी मुगल शासक औरंगजेब नें सन् 1675 ईस्वी में उनको दंड देकर उनकी हत्या करवा दी।
गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब द्वारा हिंदुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाने का विरोध किया था। उसने गुरु तेग बहादुर से भी इस्लाम कबूल करने के लिए कहा, लेकिन गुरु जी महाराज ने इस्लाम स्वीकार करने से इंकार कर दिया। तब औरंगजेब ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। गुरुजी डरे नही और इस सजा को सहर्ष स्वीकार किया। दिल्ली के चांदनी चौक नामक स्थान पर औरंगजेब के जल्लाद में उनका तलवार से उनका सर कलम कर दिया और गुरु तेगबहादुर महाराज ने उफ तक नही की। इस तरह गुरु तेज बहादुर ने हंसकर अपने प्राणों का बलिदान कर दिया लेकिन ना ही अपना धर्म बदला और ना ही सुख और धन की चिंता की।
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