" जूता हमेशा टोपी से कीमती होता है " इस कथन का क्या तात्पर्य है ?
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उत्तर: जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है। फिर भी आज के जमाने में टोपी के मुकाबले जूते की कीमत इतनी बढ़ गई है कि अच्छे अच्छे लोग किसी शक्तिशाली व्यक्ति के तलवे चाटने लगते हैं। अब किसी की विद्वता की कोई कीमत नहीं रह गई है। अब तो धन और सत्ता की पूजा होती है।
good morning mate .
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जूता हमेशा टोपी से कीमती होता है " इस कथन का क्या तात्पर्य निम्नलिखित है।
- यह कथन " जूता हमेशा टोपी से कीमती होता है।" प्रेमचंद के फटे जूते पाठ से लिया गया है।
- इस कथन के द्वारा लेखक ने व्यंग्य कसा है ।
- लेखक का कहना है कि जूता का आशय धन सम्पत्ति से है व टोपी का आशय मान मर्यादा व प्रतिष्ठा से है। मान मर्यादा का महत्व हमेशा धन सम्पत्ति से अधिक रहा है।
- लेखक कहते है की फिर भी आज के युग में टोपी की कीमत नहीं अपितु जूते की कीमत इतनी बढ़ गई है कि अच्छे लोग आर्थिक रूप से शक्तिशाली व सत्ताधारी व्यक्ति के तलवे चाटने पर मजबूत हो गए है । आज सत्ता व धन की पूजा होने लगी है।
- स्वाभिमान जितना भी हो यदि जेब खाली हो तो कोई कदर नहीं करता।
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