Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

जीत के लिए संघर्ष जरूरी है इस विषय पर टिप्पणी

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Answered by bhatiamona
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                जीत के लिए संघर्ष जरूरी है इस विषय पर टिप्पणी

जीत के लिए संघर्ष जरूरी है  यह वाक्य बिलकुल सत्य है |

इस सृष्टि में मनुष्य हो या प्राणी में छोटे-से-छोटे प्राणी से लेकर बड़े-से-बड़े प्राणी तक सबकी ज़िन्दगी में संघर्ष होता है | संघर्ष ही जीवन है । जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है ।  

जो लोग इन संघर्षों का सामना करने से डर जाते  हैं, वे जीवन से भी हार जाते हैं, जीवन भी उनका साथ नहीं देता ।

मंजिल और ज़िन्दगी में कामयाब बनने के लिए संघर्ष जरूरी है , संघर्ष से हम सब कुछ हासिल कर सकते है | बार-बार हार के भी हिम्मत रखना और मेहनत करने के साथ अपने लक्ष्य  की तरफ कदम बढ़ाना ही संघर्ष है। जीवन एक संघर्ष है एंव इसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को करना पड़ता है। हमें कभी भी संघर्ष डरना नहीं चाहिए | संघर्ष के बिना कोई भी  सफलता नहीं पा सकता है।

Answered by neeraj2345ag
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Explanation:

लहरों को खामोश देखकर ये न समझना कि समंदर में रवानी नही है, हम जब भी उठेंगे तूफान बन कर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नही है।

कुछ बाते ऐसी होती हैं जो दिल पर लग जाती है और उसकी टीस उम्र भर नहीं जाती। अक्सर दिल पर जब कोई बात चुभती है तो इससे व्यक्ति खुद को अपमानित महसूस करता है और कुछ लोग इस अपमान का बदला लेने के लिए खुद को साबित करने में अपनी जिंदगी लगा देते हैं।

गोविंद जायसवाल उन्हीं में से एक हैं। बचपन से ही गोविंद ये सुनकर बड़े हुए थे कि एक रिक्शेवाला अपने बेटे को IAS कैसे बना सकता है। अपने पिता के लिए ऐसे शब्द गोविंद को तीर की तरह चुभते थे। उन्हें अपने पिता का संघर्ष और लोगों को मजाक उड़ाना बहुत बुरा लगता था। यह सब देखकर उन्होंने अपने मन मे ठान लिया था कि वह अपने परिवार को अब एक सम्मानजनक जीवन देंगे। मुश्किल ये थी कि एक कमरे के मकान में पूरा परिवार रहता था। ऐसे में सिविल सर्विसेज के तैयारी करना बहुत मुश्किल था। लेकिन गोविंद रात-रात भर जागकर पढ़ते थे। वहीं घर वालों की भी जिद थी कि वो गोविंद को ढ्ढ्रस् बनाकर ही मानेंगे।

गोविंद की पढ़ाई के लिए उनके पिता ने अपनी पुश्तैनी जमीन 30000 रुपए में बेच दी थी। लेकिन इससे भी उनका काम नहीं चला तो गोविंद पार्ट टाइम कुछ बच्चों को मैथ का ट्यूशन देने लगे। गोविंद ने सोच लिया था कि एक दिन वो कुछ ऐसा करेंगे कि लोगों को इसी रिक्शेवाले के बेटे पर गर्व हो। साल 2006 गोविंद ने पहली बार IAS की परीक्षा दी।

अपने पहले ही प्रयास में गोविंद जायसवाल ने IAS परीक्षा में 48 वां रैंक हासिल किया था। हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों की श्रेणी में वह टॉपर रहे थे। 32 साल के गोविंद फिलहाल ईस्ट दिल्ली एरिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं। अपने संघर्ष के दिनों के बारे में उनका कहना है कि अगर वो बुरे दिन नहीं होते तो वह सफलता और जिंदगी का मतलब कभी समझ नहीं पाते। तो दोस्तो जिंदगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है, सफलता उनको मिलती है जिन्होंने संघर्ष किया कभी हार नही मानी। रात ढलने के बाद ही तो सवेरा होता है, क्या हुआ अगर आज जिंदगी आपके अनुकूल नही, बस डटे रहिये, हार मत मानिए, यकीन मानिए सफलता स्वयं आपके कदम चूमे

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