जाति न पूछो साथ की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।1।।
आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।2।।
माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि।
मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं।।3।
कबीर घास न नीदिए, जो पाऊँ तलि होइ।
उड़ि पडै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ।।4।।
जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।5।।
संत सुधासार
hindi anuvad class 8th ch9
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