३-जाति प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप ना
मानने के पीछे अंबेडकर के क्या तर्क हैं?
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hii mate
डॉ भीमराव आंबेडकर जैसे विद्यावान लोग विश्व में विरले ही होते हैं। एक तरफ उन्होंने भारत का संविधान लिखा और दूसरी तरफ वह एक महान अर्थशास्त्री भी थे। अपने विद्यार्थी काल में ही उन्होंने अपनी पी. एच. डी. की थीसिस में रूपये की समस्या के बारे में लिख कर तब की ब्रिटिश सरकार को हैरान कर दिया था। उनकी वह थीसिस उत्तम दर्जे का अर्थशास्त्र का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। अफ़सोस कि भारत में उसे बहुत कम लोगों ने पढ़ा है, अन्यथा उसे भारत की एक मत्वपूर्ण कृति माना जाता। परन्तु उन्होंने जो लिखा था उस पर विदेशों में शोध हुआ और अमेरिका जैसे उन्नत राष्ट्र के लोगों को वह सब बातें बाद में समझ में आई जो कि उन्होंने आज से लगभग सौ साल पहले लिखी थी। पर अफ़सोस कि भारत के लोग अभी तक उन तथ्यों को नहीं समझे हैं और उन्हें स्कूल अथवा कालेजों में पढ़ाया भी नहीं जाता।
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