जूते पर टोपियाँ न्योछावर होने का तात्पर्य है ?
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जूते पर टोपियाँ न्योछावर होने का तात्पर्य है ?
जूते पर टोपिया न्योछावर होने का तात्पर्य यह है कि आज के युग में जूते का कीमत बढ़ गई है।
व्याख्या :
यहां पर जूते को समृद्धि का प्रतीक बताया गया है जबकि टोपी को मान सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक बनाया गया है। आज के युग में धन और समृद्धि की कीमत अधिक बढ़ गई है और उसके आगे मान प्रतिष्ठा को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में लेखक हरिशंकर परसाई ने इसी बात पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि जूते पर पच्चीसों टोपियां न्योछावर कर दी जाती है। अर्थात आज के युग में लोग धन एवं समृद्धि के लालच में अपनी मान प्रतिष्ठा को त्यागने तक के लिए तैयार हो जाते है।
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