जातिवाद और सामप्रदायिकता किस प्रकार हानिकारक है
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जातिवाद प्रत्येक धर्म, समाज और देश में है। हर धर्म का व्यक्ति अपने ही धर्म के लोगों को ऊंचा या नीचा मानता है। क्यों? यही जानना जरूरी है। लोगों की टिप्पणियां, बहस या गुस्सा उनकी अधूरी जानकारी पर आधारित होता है। कुछ लोग जातिवाद की राजनीति करना चाहते हैं इसलिए वह जातिवाद और छुआछूत को और बढ़ावा देकर समाज में दीवार खड़ी करते हैं और ऐसा भारत में ही नहीं दूसरे देशों में भी होता रहा है। इतिहास में या कथाओं में वही लिखा जाता है जो 'विजयी' लिखवाता है। हम हारी हुई कौम हैं। अपने ही लोगों से हारी हुई कौम। हमें किसी बाहर के व्यक्ति ने नहीं अपने ही लोगों ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर हराया है। क्यों?
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