जाति व्यवस्था की कोई तीन सामान्य विशेषताएं लिखें
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जाति की संरचना का अध्ययन इसकी प्रमुख विशेषताओं के विश्लेषण द्वारा किया जा सकता है। बूगल ने जाति के तीन तत्व बताये हैं वंशानुगत विशेषज्ञता, श्रेणीबद्धता, एवं आकर्षक व विरोध होकार्ट ने धार्मिक क्रिया-कलापों की पवित्रता और अपवित्रता पर बल दिया है, जबकि रिजले ने अन्तर्विवाह (endogamy) तथा वंशानुगत पेशे (occupation) पर बल दिया है। माुर्ये, केलकर, एन.के.दन, आदि, ने भी इन्हीं विशेषताओं की ओर संकेत किया है। इन विशेषताओं को बताते समय इन सब विद्वानों ने जाति को एक इकाई तथा एक व्यवस्था के रुप में अन्तर नहीं किया है। इस अन्तर को ध्यान में रखते हुए यह माना जा सकता है कि एक इकाई के रुप में जाति की ये विशेषताएं हैं: वंशानुगत सदस्यता, अन्तर्विवाह, निश्चित व्यवसाय, तथा जाति समितियां, जबकि व्यवस्था के रुप में जाति की विशेषताएं हैं:श्रेणीक्रम, खानपान पर प्रतिबन्ध, तथा शारीरिक व सामाजिक दूरियों पर प्रतिबन्ध। हम जाति की इन व्यवस्था व इकाई की विशेषताओं की अलग-अलग विवेचना करेंगे।