जातीय विषमता को दूर करने के लिए अपनाई गई कुछ नीतियों का वर्णन करें।
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जातीय विषमता को दूर करने के लिए अपनाई गई कुछ नीतियों का वर्णन करें।
जातीय विषमता का तात्पर्य विभिन्न जातिओ के मध्य होने वाले भेद से है।
राष्ट्रीय जीवन में जातीय विषमता एक ऐसा भयावह सच है, जो अब हमें बहुत परेशान भी नहीं करता है. राजनीति और समाज में भले ही गाहे-ब-गाहे इसे दूर करने के प्रयासों की चर्चा हो जाती है, पर वास्तविकता यही है कि इस समस्या को लोकतांत्रिक भारत का एक स्थायी लक्षण मान लिया गया है.
जातीय समानता के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है.
एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री जॉन रॉल्स के अनुसार आर्थिक विषमता तभी सही है, जब वह सर्वाधिक गरीब की आय को बढ़ाने का माध्यम हो।
फ्रेडरिक हायेक के अनुसार " बाजार में सबका प्रवेश सुगम बनाने के हद तक ही असमानता को उचित ठहराया जा सकता है "
जातीय विषमता के मुख्य प्रभाव निन्मलिखित है -
- जातीय विषमता के कारण ही आज समाज में आपसी प्रेम, भाईचारा, मानवता, इंसानियत और नैतिकता खत्म होती जा रही है।
- व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए समाज को जाति और धर्म में बांटा जा रहा है।
- महिलाओं को जाति के बंधन में बांधा जा रहा है। महिलाएं कुछ आगे बढ़ी हैं लेकिन अभी स्थिति काफी खराब है।
- समाज के गरीब लोग जिस हाल में थे आज भी वहीं पे खड़े हैं या फिर और गरीब ही होते जा रहे हैं।
- आर्थिक न्याय ही सामाजिक न्याय का नींव है। आर्थिक न्याय के बिना हम जातीय न्याय की कल्पना भी नहीं कर सकते।
- यदि वास्तव में हम जातीय न्याय के पक्षधर हैं तो हमें आर्थिक न्याय को मजबूत बनाना ही होगा।
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Q.1.- विषमता का अर्थ बताइये।
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Q.2.- विषमता से आप क्या समझते हैं?
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