Hindi, asked by singhbina2072, 1 month ago

जादू है जादू है कविता जो है जो जैसा है तुरत-फुरत पलक झपकते सब-कुछ की शक्ल बदल डालने की ललक जादू। जादू खाली टोकरी से निकलता है कबूतर गुटर गुंऽऽ करता भरता है लम्बी-लम्बी उड़ान।


इस कविता का भावार्थ बताएं​

Answers

Answered by zahidmansoori793
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Answer:

इस कविता में कभी जादू दिखाने वाले व्यक्ति की विशेषताओं पर प्रकाश डालता है मैं कहता है कि पलक झपकते ही कैसे एक जादूगर लोगों की शक्ल लोगों को बदल देता है अर्थात एक व्यक्ति को गायब करके दूसरे व्यक्ति को प्रस्तुत करता है, अंतिम पंक्तियों में रवि जादूगर के द्वारा निकाले गए कबूतर के बारे में वर्णन करता है।

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