जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्य उदय हो रहा है
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जादू टूटता है इस उषा का, अब सूर्योदय हो रहा है' शमशेर बहादुर सिंह (13 जनवरी 1911 – 12 मई 1993) के बारे में एक बात बहुत इसरार के साथ कही जाती है. ... ये बात इसलिए क्योंकि हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि शमशेर की कविता से इस्लाह लेते हैं. 'प्रेम का कवि' भी कहलाने वाले शमशेर का एक वाक़या उनके उदात्त जीवन का पैमाना दिखाता है.
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