‘जीवोंपर दया
करो’ - short essay
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Hey mate, look below...
Explanation:
जानवरो से प्यार करो , जीवो पर दया करो , ऐसा बहुत कुछ सुनते आ रहे हैं बचपन से। छोटे जीव पर जब पैर पड़ जाता या गाडी के नीचे कोई जीव आ जाता तो कितनी हाय सी निकलती मन से। ऐसा इसलिए होता क्यूंकि हम्मे से काफी अब भी जीवों के जीवन का महत्त्व समझते। उन्हें चोट पहुचना हमारे लिए अभी भी काफी मुश्किल काम होता। मगर ऐसा सबके साथ नहीं होता है। अगर काफी लोग जीवो से प्यार करते तो कुछ ऐसे भी होते जो इस बात को उतना महत्त्व नहीं देते हैं।
देखा जाए तो जीव के प्रति भाव हमारे समय के हिसाब से अलग अलग होते। सांप उसके संपेरे का पास होता है तो उसे दूध पिलाने कि इच्छा होती है , उसे गले में टांगने कि इच्छा होती है , मगर जब सांप हमारे घर में निकलता है तो उसे मारे बगैर छोड़ना लगता जैसे काफी मुश्किल काम है। तब कम ही लोग सपेरे को ढुंढवाने कि कोशिश करते या ज़ू से संपर्क कर पाते। कुत्ता हमारे घर में होता या छोटे छोटे पिल्लै देखते तो कितना प्यार उमड़ता मन में, मगर जब सड़क पर देसी कुत्ता देखते तो उसे देख कर अलग भाव आता है। शेर देखने पर जो डर नेशनल पार्क में आता अपने सामने, वो चिड़ियाघर में ख़तम सा हो जाता है।
बस यही से सोच आती है जब कुछ लोग चिड़ियाघर में जा कर जीवो को जीव समझना भूल जाते हैं या फिर उन्हें ख़ुशी होती है जीवो को परेशान कर के। चिड़ियाघर में जानवरो को कुछ खिलाना ठीक नहीं होता है मगर कुछ लोग शायद शेर या बन्दर को जब तक कुछ खाने के लिए दे न दे , उन्हें शायद ख़ुशी नहीं मिलती। अगर जीव बाड़े में नहीं दिख रहा है , अंदर है पिंजरे वाले हिस्से में , तो उस बाड़े में पत्थर फेकना किस तरह कि सोच का होता है , ये समझना मुश्किल है। खाने को ही चिड़ियाघर के जीवो को बाहर का कुछ नहीं देना चाहिए, मगर अगर कोई पन्नी समेत अगर कुछ बाड़े में फेकना चाहे , या पन्नी ही फेकना चाहें , तो जीव उससे खुद को क्या नुकसान पंहुचा सकता है, ये खुद समझा जा सकता।
हुक्कू बन्दर के बाड़े में अगर आप उसे हुक्कू बुलवाने के लिए खुद भी हू हू हू करते रहेंगे तो आप सोचिये कि वहाँ आपकी आवाज़ उससे ज्याद गूंजती। हालांकि ये बात चेहरे पर हसी ले आती है कि देखो, मगर उस बेचारे हुक्कू का सोचिये जो बेचारा दिन भर चिल्लाता रहता। ऐसा ही शेर के पिंजरे के बाहर बनी बॉउंड्री के अंदर जाकर उसे छेड़ने कि कोशिश मज़ा तो देती आपको मगर कभी अगर बुरा वक्त आया तो वो छेड़छाड़ खतरनाक साबित हो सकती है। मगर ये होता रहता है , और हम उस छेछाड़ और खिलाने पिलाने का ज्यादा बुरा नहीं माना जाता, पकडे जायेंगे तो कुछ केह सुन कर बच लेंगे ! दीवाली आती तो ये जीव पटाखो से डरने के बाद भी उन धमाको को सुनते। बेहिसाब धमाके जो उन्हें डरा देते, मगर सुन्ना उनकी मजबूरी।
अक्सर सड़क पर तिल तिल कर मरते जीव दीखते पर उनमे से कितनो को इलाज मिल पाता ? गाडी के नीचे गलती से नीचे आये जीव के प्रति दर्द तो जायज़ है, मगर मोहल्ले में सड़ रहे घाव को सेह रहे जीव के प्रति कितने लोग मोह रख पाते ? खतरनाक जीव को देख कर, अगर वो काट ले या मार दे , उस डर से उसे मौत दे दी जाती। मगर खतरनाक जीव भी जान पर खतरा देख कर नुक्सान पहुचता है , आमतौर पर वो भागने में ही सरलता समझता है। गाय को रोटी खिलाना शुभ होता है , मगर सोचिये उन गायों के बारे में जो पन्नी समेत खाना खा जाती और पेट में ढेर सारी पन्नी होने कि वजह से मर जाती। पन्नी का उपाय क्या है , ये तो जिन्हे सोचना चाहिए, वो सोचें , मगर खाने और पन्नी को अलग अलग जो लोग नहीं डालते , वो उन्हें खाने वाले जीवों के लिए खतरनाक जरुर हो जाती। तो हो सके तो जीवो पर दया कीजिये। उन्हें कुछ ऐसा मत दीजिये जो उनके लिए नुकसानदायक हो। और अगर आपके आसपास किसी जीव को आपकी जरुरत हो , तो अगर थोडा सा समय आपके पास हो तो उसे देने कि कोशिश करिये। और अगर उन्हें समय नहीं भी दे सकते हैं तो कोई बात नहीं , बस उन्हें छेड़ने , मारने, नुक्सान पहुचाने वाले लोगो को समझाने कि कोशिश करें।
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THNX;-)