Hindi, asked by mahendrachoudhary364, 4 months ago

जीवनी एवं आत्मकथा विद्या की परिभाषा देते हुए अंतर स्पष्ट कीजिए​

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Answered by janu519
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Answer:

Explanation:

आत्मकथा और जीवनी दोनों ही साहित्य की नई विधाएं हैं। दोनों ही व्यक्ति विशेष के जीवन की विविध घटनाओं एवं प्रसंगों के वर्णन की विधा है। आत्मकथा व्यक्ति के द्वारा स्वयं के जीवन के सन्दर्भ में लिखी गई कथा होती है जबकि व्यक्ति विशेष के जीवन पर जब कोई दूसरा व्यक्ति लिखता है तो उसे जीवनी कहते हैं। आत्मकथा और जीवनी में यही मूल अंतर है, परन्तु इसी अंतर के कारण और अनेक अंतर सामने आ जाते हैं।

जीवनी जहाँ किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है, वहाँ आत्मकथा में लेखक स्वयं अपनी जीवनी प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में लेखक निजी जीवन से जुड़ी गहराईयों से जुड़ा होता है परन्तु जीवनी में लेखक चरित नायक के जीवन से शायद उतनी गहराई से नहीं जुड़ पाता है। आत्मकथा जीवनी की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होता है। आत्मकथा में लेखक अपना जीवनवृत स्वयं प्रस्तुत करता है और लेखक जितना स्वयं अपने बारे में जानता है उतना कोई दूसरा नहीं जानता। इसके विपरीत जब जीवनी लेखक किसी के बारे में कोई बात कहता है तो यह आशंका बनी रहती है कि शायद कुछ बात गोपनीय रह गई है, सत्य का कुछ अंश ढंका रह गया है।

आत्मकथा अपनी जीवनी अपने जीवन-काल में ही लिखता है, जबकि जीवनी का लेखन आवश्यक नहीं कि चरित नायक के जीवन काल में ही हो। आत्मकथाकार के पास अपने जीवन संबंधी सारी जानकारी अपने दिमाग में ही रहती है, वहीं जीवनीकार को यही सामग्री विभिन्न श्रोतों से इकट्ठी करनी पड़ती है। यदि चरित नायक इतिहास-पुरुष है तो जीवनीकार को उसके जीवन को लेकर व्यापक शोध करना पड़ता है।

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