जीवन -लक्ष्य प्राप्त करने में
पारिवारिक सहयोगा का क्य
महत्व है.?
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Explanation:
लक्ष्यविहीन मनुष्य पशुओं के समान ही विचरण करता है । वह परिश्रम तो करता है परन्तु उसका परिश्रम उसे किसी ऊँचाई की ओर नहीं ले जाता है क्योंकि उसका परिश्रम उद्देश्य रहित होता है।
दूसरी ओर जीवन में एक निश्चित लक्ष्य रखने वाला मनुष्य अपनी समस्त ऊर्जा को लक्ष्य के प्रति आसानी से केंद्रित कर देता है जिससे वह दिन प्रतिदिन प्रगति की ओर अग्रसर रहता है । मनुष्य को अपने लक्ष्य का निर्धारण बहुत ही सावधानीपूर्वक करना चाहिए । लक्ष्य के निर्धारण में व्यक्ति की अपनी रुचि होना आवश्यक है ।
आधुनिक जगत की यही विडंबना है कि अधिकांश लोग कार्य तो करते हैं परंतु उस कार्य में उनकी रुचि नहीं होती है । अधिकतर लोग ऐसे कार्य में व्यस्त हैं जिसके लिए वे पूर्ण रूप से योग्य नहीं होते हैं फिर भी संसाधनों आदि के अभाव में विवशतापूर्वक वे कार्य करते चले जाते हैं। नि:संदेह अनिच्छा से किए गए कार्य से वे अपनी शक्ति और सामर्थ्य का पूर्ण रूप से सदुपयोग नहीं कर पाते हैं जिससे जीवन पर्यंत वे सृजन से वंचित रह जाते हैं । अत: किसी भी कार्य को करने हेतु उस कार्य के प्रति मनुष्य की अभिरुचि नितांत आवश्यक है ।