जीवन मै बचत का महत्त्व
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समय और धन की बचत के अतिरक्त ऊर्जा की बचत भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । देश की जनसंख्या दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है । आज हमारी जनसंख्या एक अरब के आँकड़े को पार कर गई है । दूसरी ओर हमारे ऊर्जा के संसाधन जैसे पेट्रोल, डीजल आदि सीमित हैं ।
इन परिस्थितियों में यदि हमने ऊर्जा संरक्षण अथवा उसकी बचत पर ध्यान नहीं दिया तो आगामी कुछ वर्षों में हम अत्यंत मुश्किलों में पड़ सकते हैं । अत: ऊर्जा की बचत किसी एक व्यक्ति या एक समाज के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण राष्ट्र या व्यापक अर्थों में पूरी मानव सभ्यता के लिए आवश्यक है ।
अत: बचत अथवा संचय किसी भी अवस्था में हो, चाहे वह धन की बचत हो या फिर समय व ऊर्जा की, सभी अवस्थाओं में इसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । बचत हमारे सुखमय जीवन के लिए आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है । हमारी छोटी-छोटी बचत हमारा ही नहीं अपितु हमारे परिवार व आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करती है ।
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बचत
‘बात कीजिए और सुंदर और सुरक्षित भविष्य बनाइए।’ यह नारा आज के युग का है यों तो मनुष्य शुरू से ही बचत करता आ रहा है। लेकिन पूर्व काल में की गई बचत से आज की बचत के अर्थ में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। भूखा या अधपेट रहकर बचत नहीं करनी है, परंतु फिजूलखर्ची पर अवश्य रोग लगानी है। आजकल तो बिजली और पानी की बचत की ओर समाज का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। दरअसल बचत एक प्रवृति है जो मनुष्य को संयमित और सुखी जीवन बिताने की ओर संकेत करती है।
बचत करने का आज का अर्थ है। राष्ट्र या देश की सेवा करना। आज अर्थतंत्र का युग है। अर्थ को किसी तिजोरी, गड्ढे आदि में नहीं छिपया जाए ओर न स्वर्ण खरीकर उसे जाम कर दिया। आज अर्थ उत्पादन शकित से जुड़ चुका है। एक व्यक्ति की बचत यदि वह डाकखाने, बैंक, कंपनियों आदि में लगी हुई है तो इसका मतलब है कि आप राष्ट्रीय सेवा के कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। क्योंकि आपकी जमा-पूंजी से नया विकास हो रहा है ओर नई योजनांए शुरू की जा रही हैं। इस प्रकार आपका धन तो बढ़ेगा ही, साथ में समाज और देश की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी।
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