जीवन में किसको जीतना आवश्यक हैं ?
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सच में, जो कार्य अब किया जा रहा है, वह लोगों से अपने पूर्वज शैतान का त्याग करवाने के लिए किया जा रहा है। वचन के द्वारा सभी न्यायों का उद्देश्य मानवजाति के भ्रष्ट स्वभाव को उजागर करना और लोगों को जीवन का सार समझने में सक्षम बनाना है। ये बार-बार के न्याय लोगों के हृदयों को बेध देते हैं। प्रत्येक न्याय सीधे उनके भाग्य से संबंधित होता है और उनके हृदयों को घायल करने के लिए होता है, ताकि वे उन सभी बातों को जाने दें और फलस्वरूप जीवन के बारे में जान जाएँ, इस गंदी दुनिया को जान जाएँ, परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को जान जाएँ, और मानवजाति को भी जान जाएँ, जिसे शैतान ने भ्रष्ट कर दिया है। जितना अधिक मनुष्य इस प्रकार की ताड़ना और न्याय प्राप्त करता है, उतना ही अधिक मनुष्य का हृदय घायल किया जा सकता है और उतना ही अधिक उसकी आत्मा को जगाया जा सकता है। इन अत्यधिक भ्रष्ट और सबसे अधिक गहराई से धोखा खाए हुए लोगों की आत्माओं को जगाना इस प्रकार के न्याय का लक्ष्य है। मनुष्य के पास कोई आत्मा नहीं है, अर्थात् उसकी आत्मा बहुत पहले ही मर गई और वह नहीं जानता है कि स्वर्ग है, नहीं जानता कि परमेश्वर है, और निश्चित रूप से नहीं जानता कि वह मौत की अतल खाई में संघर्ष कर रहा है; वह संभवतः कैसे जान सकता है कि वह पृथ्वी पर इस गंदे नरक में जी रहा है? वह संभवतः कैसे जान सकता है कि उसका यह सड़ा हुआ शव शैतान की भ्रष्टता के माध्यम से मृत्यु के अधोलोक में गिर गया है? वह संभवतः कैसे जान सकता है कि पृथ्वी पर प्रत्येक चीज़ मानवजाति द्वारा बहुत पहले ही इतनी बरबाद कर दी गई है कि अब सुधारी नहीं जा सकती? और वह संभवतः कैसे जान सकता है कि आज स्रष्टा पृथ्वी पर आया है और भ्रष्ट लोगों के एक समूह की तलाश कर रहा है, जिसे वह बचा सके? मनुष्य द्वारा हर संभव शुद्धिकरण और न्याय का अनुभव करने के बाद भी, उसकी सुस्त चेतना मुश्किल से ही हिलती-डुलती है और वास्तव में लगभग प्रतिक्रियाहीन रहती है। मानवजाति कितनी पतित है! और यद्यपि इस प्रकार का न्याय आसमान से गिरने वाले क्रूर ओलों के समान है, फिर भी वह मनुष्य के लिए सर्वाधिक लाभप्रद है। यदि इस तरह से लोगों का न्याय न हो, तो कोई भी परिणाम नहीं निकलेगा और लोगों को दुःख की अतल खाई से बचाना नितांत असंभव होगा। यदि यह कार्य न हो, तो लोगों का अधोलोक से बाहर निकलना बहुत कठिन होगा, क्योंकि उनके हृदय बहुत पहले ही मर चुके हैं और उनकी आत्माओं को शैतान द्वारा बहुत पहले ही कुचल दिया गया है। पतन की गहराइयों में डूब चुके तुम लोगों को बचाने के लिए तुम्हें सख़्ती से पुकारने, तुम्हारा सख़्ती से न्याय करने की आवश्यकता है; केवल तभी तुम लोगों के जमे हुए हृदयों को जगाना संभव होगा।
तुम लोगों की देह, तुम लोगों की असाधारण इच्छाएँ, तुम लोगों का लोभ और तुम लोगों की वासना तुम लोगों में गहराई तक जमी हुई हैं। ये चीजें तुम लोगों के हृदयों को निरंतर इतना नियंत्रित कर रही हैं कि तुम लोगों में अपने उन सामंती और पतित विचारों के जुए को अपने ऊपर से उतार फेंकने शक्ति नहीं है। तुम लोग न तो अपनी वर्तमान स्थिति को बदलने के लिए लालायित हो, न ही अंधकार के प्रभाव से बच निकलने के लिए। तुम बस इन चीजों से बँधे हुए हो। भले ही तुम लोग जानते हो कि यह जीवन इतना दर्दनाक है और मनुष्यों की यह दुनिया इतनी अंधकारमय, फिर भी तुम लोगों में से किसी एक में भी अपना जीवन बदलने का साहस नहीं है। तुम केवल इस जीवन की वास्तविकताओं से पलायन करने, आत्मा की इंद्रियातीतता हासिल करने और एक शांत, सुखद, स्वर्ग जैसे परिवेश में जीने की अभिलाषा करते हो। तुम लोग अपने वर्तमान जीवन को बदलने के लिए कठिनाइयाँ सहने को तैयार नहीं हो; न ही तुम इस न्याय और ताड़ना के अंदर उस जीवन की खोज करने की इच्छा रखते हो, जिसमें तुम लोगों को प्रवेश करना चाहिए। इसके विपरीत, तुम देह से परे उस सुंदर संसार के बारे में अवास्तविक स्वप्न देखते हो। जिस जीवन की तुम लोग अभिलाषा करते हो, वह एक ऐसा जीवन है जिसे तुम बिना कोई पीड़ा सहे अनायास ही प्राप्त कर सकते हो। यह पूरी तरह से अवास्तविक है! क्योंकि तुम लोग जिसकी आशा करते हो, वह देह में एक सार्थक जीवनकाल जीने के लिए जीवनकाल के दौरान सत्य प्राप्त करने के लिए, अर्थात्, सत्य के लिए जीने और इंसाफ़ के लिए अडिग रहने के लिए नहीं है। यह वह नहीं है, जिसे तुम लोग उज्ज्वल, चकाचौंध करने वाला जीवन मानोगे। तुम लोगों को लगता है कि यह एक मोहक या सार्थक जीवन नहीं होगा। तुम्हारी नज़र में, ऐसा जीवन जीना अन्याय जैसा लगता होगा। भले ही तुम लोग आज इस ताड़ना को स्वीकार करते हो, फिर भी तुम लोग जिसकी खोज कर रहे हो, वह सत्य को प्राप्त करना या वर्तमान में सत्य को जीना नहीं है, बल्कि इसके बजाय बाद में देह से परे एक सुखी जीवन में प्रवेश करने में समर्थ होना है। तुम लोग सत्य की तलाश नहीं कर रहे हो, न ही तुम सत्य के पक्ष में खड़े हो, और तुम निश्चित रूप से सत्य के लिए अस्तित्व में नहीं हो। तुम लोग आज प्रवेश की खोज नहीं कर रहे हो, बल्कि इसके बजाय तुम्हारे विचारों पर भविष्य का और इस बात का कब्ज़ा है कि एक दिन क्या हो सकता है : तुम नीले आसमान पर टकटकी लगाए हो, कड़वे आँसू बहा रहे हो, और किसी दिन स्वर्ग में ले जाए जाने की अपेक्षा कर रहे हो। क्या तुम लोग नहीं जानते कि तुम लोगों के सोचने का तरीका पहले से ही वास्तविकता से परे है? तुम लोग सोचते रहते हो कि अनंत दया और करुणा करने वाला उद्धारकर्ता एक दिन निसंदेह
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सच में, जो कार्य अब किया जा रहा है, वह लोगों से अपने पूर्वज शैतान का त्याग करवाने के लिए किया जा रहा है। वचन के द्वारा सभी न्यायों का उद्देश्य मानवजाति के भ्रष्ट स्वभाव को उजागर करना और लोगों को जीवन का सार समझने में सक्षम बनाना है। ये बार-बार के न्याय लोगों के हृदयों को बेध देते हैं। प्रत्येक न्याय सीधे उनके भाग्य से संबंधित होता है और उनके हृदयों को घायल करने के लिए होता है, ताकि वे उन सभी बातों को जाने दें और फलस्वरूप जीवन के बारे में जान जाएँ, इस गंदी दुनिया को जान जाएँ, परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को जान जाएँ, और मानवजाति को भी जान जाएँ, जिसे शैतान ने भ्रष्ट कर दिया है। जितना अधिक मनुष्य इस प्रकार की ताड़ना और न्याय प्राप्त करता है, उतना ही अधिक मनुष्य का हृदय घायल किया जा सकता है और उतना ही अधिक उसकी आत्मा को जगाया जा सकता है। इन अत्यधिक भ्रष्ट और सबसे अधिक गहराई से धोखा खाए हुए लोगों की आत्माओं को जगाना इस प्रकार के न्याय का लक्ष्य है। मनुष्य के पास कोई आत्मा नहीं है, अर्थात् उसकी आत्मा बहुत पहले ही मर गई और वह नहीं जानता है कि स्वर्ग है, नहीं जानता कि परमेश्वर है, और निश्चित रूप से नहीं जानता कि वह मौत की अतल खाई में संघर्ष कर रहा है; वह संभवतः कैसे जान सकता है कि वह पृथ्वी पर इस गंदे नरक में जी रहा है? वह संभवतः कैसे जान सकता है कि उसका यह सड़ा हुआ शव शैतान की भ्रष्टता के माध्यम से मृत्यु के अधोलोक में गिर गया है? वह संभवतः कैसे जान सकता है कि पृथ्वी पर प्रत्येक चीज़ मानवजाति द्वारा बहुत पहले ही इतनी बरबाद कर दी गई है कि अब सुधारी नहीं जा सकती? और वह संभवतः कैसे जान सकता है कि आज स्रष्टा पृथ्वी पर आया है और भ्रष्ट लोगों के एक समूह की तलाश कर रहा है, जिसे वह ब