जीवन मैं प्राकृतिक सौंदर्य किस प्रकार भाव - विभोर कर देता है| एक छोटी सी कविता अपने शब्दों मैं लिखिए |
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कवि जयशंकर प्रसाद उपर्युक्त पंक्ति के माध्यम से देशवासियों को जगाने की बात कर रहे हैं। भारत के प्राकृतिक सौंदर्य पर मुग्ध होकर कवि ने भाव विभोर हो देश के सौंदर्य का चित्रण किया है । कवि कहते है की देश में जब जब विदेशी शक्ति का आक्रमण हुआ है तब तब हमारे बलवीर शत्रुओ का डट कर मुकाबला करते है ।भारत में साहसी वीरों का आह्वान किया गया है ।
इस संघर्ष में पराजित और प्रकृति के रुद्र प्रकोप से विक्षुब्ध मनु जीवन से विरक्त हो पलायन कर जाते हैं।
प्रकृति को एहसास करना और इसे समझना हर किसी व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। पृथ्वी पर प्राकृतिक दृश्यों का एक व्यापक विस्तार है जिसमें ध्रुवीय क्षेत्रों के बर्फीले प्राकृतिक दृश्य, पहाड़ी प्राकृतिक ,प्राकृतिक दृश्य सौंदर्य शास्त्र या सिर्फ सौंदर्य शास्त्र शब्द का साहित्य में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है।
प्राकृतिक सोंदर्य:
सुबह-सुबह नज़ारा , प्रकति का उपहार कर देता है सबको ताज़ा |
जाड़े की शाम और सुबह की नींद सब को बहुत प्यारी होती है ,
जब सवेरा होता है सूरज अपनी रोशनी से सब को जगाती है ,
पेड़ो की आवाज़ , पक्षियों की आवाज़ सुबह कहती है ,
जागो सुबह हो गई हम कहते सोने दो थोड़ी देर |
धरती पर पेड़ -पौधे ,सभी प्राणी ,यहाँ तक की धरती भी ख़ुशी से झूम उठती है,
वर्षा ऋतु में घुमड़-घुमड़ कर गरजते एवं बरसते, बादल अंधकार के बीच आशा का प्रकाश उत्पन्न करते है|
धरती का कण-कण वर्ष के जल से भीग जाता है ,बारिश में प्रकृति ओर प्राणी का रोम-रोम जाग उठता है |
आई है प्रकृति धरती पर।
अनुपम सौन्दर्य का उपहार लिए।।