(जीवन में साहित्य का स्थान)
ही तो
प्रेमचंद
करण, मूल नाम: धनपत राय
जन्म: सन् 1880, लमही गाँव (उ.प्र.)
प्रमुख रचनाएँ: सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि,
निर्मला, कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि, गोदान
(उपन्यास); सोज़े वतन, मानसरोवर-आठ खंड
में, गुप्त धन (कहानी संग्रह); कर्बला, संग्राम,
प्रेम की देवी (नाटक); कुछ विचार, विविध
प्रसंग (निबंध-संग्रह)
अनेक मृत्युः सन् 1936
ण
प्रेमचंद हिंदी कथा-साहित्य के शिखर पुरुष माने जाते हैं। कथा-साहित्य
की
शर
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प्रेमचंद भारत के अनेकों कथा- साहित्य मैं से एक थे इन्होंने हमेशा अपनी कहानियों से मनुष्य को प्रेरित किया और मनुष्य के अच्छाइयां और बुराइयां भी पतला है जिससे मनुष्य बदले और अपने जीवन में गलतियां ना करें जानवरों जैसे जंतुओं पर अत्याचार ना करें थोड़ी-थोड़ी बातों पर गुस्सा ना हो इंसानियत को सिखाया छोटी-छोटी कहानियों से हम लोगों को प्रेरित किया इनकी कहानियां कथा साहित्य पूरे संसार में प्रचलित हैं इनका एक ही लक्ष्य था मानव समाज को सुधारना
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