जीवन में सबका कुछ न कुछ अरमान होता है। कभी-कभी एक की इच्छा दूसरे की इच्छापूर्ति में
बाधक बन जाती है। अपनी इच्छा पूरी करते समय दूसरों की इच्छा का ख्याल रखना सजन मनुष्य
है। इस संदर्भ में आप अपने विचार लिखिए।
का गुण in hindi
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Explanation:
मन दुख और विवशता के विरोध में ही संतुष्टि, प्रसन्नता का अनुभव कर सकता है। यह मन का बंधन है, प्रोग्राम है। मन इस भ्रम में आ जाता है जैसे कि संतुष्टि या प्रसन्नता ठहर जाएगी या ठहर सकती है।
इस बंधन का ध्यान में आना आपको स्वचालित मूल तक ले जाता है।
मन वस्तुओं, संबधों, घटनाओं या विचारों से एक संतुष्टिपूर्ण या आरामदायक स्थिति की तलाश में रहता है। कुछ भी आपको संतुष्टि या आराम नहीं दे सकता।
आप संसार से एक क्रियाशील व्यवस्था से बंधे हैं न कि संतुष्टिपूर्ण या आरामदायक व्यवस्था से। यह जानना आपको पूर्णसंतुष्टि से मिला देता है।
जब आपको कोई वस्तु या धन मिलता है, यह संतुष्टि कुछ समय तक रहती है, जब कि वह वस्तु या धन अभी भी आपके पास है। मन को चलने के लिये, जीवित रहने के लिये नया तनाव, नया संवेग चाहिये। भ्रम यह हो जाता है जैसे कि कोई वस्तु या धन स्थिर आराम या संतुष्टि दे सकता है। इस तथ्य पर ध्यान देने से ही आप तनाव-आराम की पल-पल की स्वचालित गति को देख लेते हैं। स्थिर आराम एक भ्रम है। कुछ भी आपको स्थिर आराम या संतुष्टि नहीं दे सकता।
आप संतुष्ट या स्थिर आराम की अवस्था में नहीं रह सकते| कोई कमी,कोई आवश्यकता, कोई असुरक्षा आपके सामने आ जाएगी| जीवन कोई परिभाषित या सीमित प्रक्रिया नहीं है| जब आप यह देख लेते हैं (कि आप स्थिर आराम या स्थिर प्रसन्नता की अवस्था में नहीं रह सकते-आपको जीवन ऊर्जा छू लेती है| अब हर पल एक प्रयोग की तरह सामने आता है| और इस प्रक्रिया का कोई संतुष्टिपूर्ण या आरामदायक अंत नहीं है|
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Answer:
गिवे मे आ चिर्रेच्त अन्स्व्वेर