जब हम बनावठी चिड़ियों को चट कर जाते,
तल बाबूजी कैलने के लिए ले जाते
(आश्रित उपवाक्त पहचानकर लिशिम और
उस भैह भी लिखित)
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कवि ने इच्छा व्यक्त की है कि चाहे उसे घोंसला बनाने के लिए पेड़ की डाली ना दो उसे बैठने के लिए विशाखा ना दो पर स्वतंत्र रूप से उन्ना अवश्य दो ईश्वर ने उसे उड़ने के लिए ही पार्क दिए हैं कभी पक्षियों की ओर से उनकी आजादी के लिए भीख मांगता है पक्षियों में भी अपनी मंजिल को प्राप्त करने की इच्छा होती है उनकी मंजिल आसमान की सीमा को छू लेना होता है जिससे उनका आसमान से मिलने की चाहत पूरी हो जाती है और कई बार वे आसमान की सीमा को छू नहीं पाते जिससे उनकी इच्छा अधूरी रह जाती है वे एक अधूरी इच्छा को लिए इस संसार से चले जाते हैं। पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है पक्षी पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने में सहायक होते हैं पिंजरे में बंद रहकर उनके लिए खुला आसमान बहता पानी पर की दाल आदि सब सब कुछ सपना हो जाता है उन्हें किसी से कुछ भी नहीं चाहिए भगवान ने उन्हें उड़ने के लिए पंख दिए हैं तो उन्हें कभी भी बांधकर नहीं रखना चाहिए इन्हीं बात को कभी अपनी पंक्तियों और कविता से हमें बताना चाहता है।