Hindi, asked by academychhavidance, 5 months ago

(जब मे था तब गुरू नहीं , अब गुरू है हम नहीं , प्रेम गली अति सांकरी तामे दो न समाही , जब मैं था तब हरि नही , अब हरि है हम नहीं, सन अन्धियारा माटी गया, जब दीपक दिखाया माहि ) पधाअंश सहित व्याख्या लिखियेगा ​

Answers

Answered by ansh855522
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Explanation:

भावार्थ: जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ, जब अहंकार (अहम) समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले | जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, तब अहंकार स्वत: ही नष्ट हो गया | ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ | प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता, प्रेम की संकरी (पतली) गली में केवल एक ही समा सकता है - अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है |

Answered by Sweetheart4701
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Explanation:

कबीरदास जी कहते हैं कि जहां घमंड होता है । अहंकार होता है वहां भगवान का वास नहीं होता है। जहां भगवान विराजते हैं वहां हम नहीं हो सकता। क्योंकि प्रेम की गली अत्यधिक तंग है ।उसमें अहंकार और ईश्वर का एक साथ नहीं रह सकते । अहंकार मनुष्य के लिए अभिशाप है ।अहंकारी व्यक्ति कभी भगवान को नहीं पा सकता। भगवान का अर्थ है प्रेम! और जहां सच्चा प्यार होगा वहां अहंकार नहीं हो सकता। प्रेम की गली में या तो भगवान रहेंगे या फिर अहंकार। अंहकारी व्यक्ति कभी भगवान के प्रेम को समझ नहीं सकता है।

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