Hindi, asked by joshiarjun058, 9 months ago

जब मैं था तब हरि नहिं , अब हरि है मैं नाहि I पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

Answers

Answered by chantibrahmaiah7
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Answer:

इस पंक्ति द्वारा कबीर का कहते है कि जब तक यह मानता था कि ‘मैं हूँ’, तब तक मेरे सामने हरि नहीं थे। और अब हरि आ प्रगटे, तो मैं नहीं रहा। अँधेरा और उजाला एक साथ, एक ही समय, कैसे रह सकते हैं? जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता अर्थात् अहंकार और ईश्वर का साथ-साथ रहना नामुमकिन है। यह भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।

Answered by XxMissPaglixX
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♡Answer♡:-

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है तो मैं नहीं

इस पंक्ति में मैं का अर्थ है अहंकार और हरि का अर्थ है भगवान इस पंक्ति का अर्थ है जब हम का था तब भगवान नहीं थे और अब जब हमारे अंदर से अहंकार नहीं है तो भगवान है .।

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♡Thank you♡

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